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________________ मक्खिआ। (मक्षिका) = मक्खी वीणा (वीणा) = वीणा, एक प्रकार का मच्छिआ वाजिंत्र माया (माया) = माया, कपट, छल संकला (श्रृङ्खला) = बेड़ी, जंजीर, माला (माला) = माला सांकल रत्ति । (रात्रि) = रात्रि समिद्धि । (समृद्धि) = आबादी, प्रगति राइ सामिद्धि रिउ । (ऋतु) = वसन्तादि ऋतु सलाहा (श्लाघा) = प्रशंसा उउ सव्वविरइ (सर्वविरति) = पाँचों महाव्रतों वणिया। (वनिता) = स्त्री का पालन, सभी पापव्यापारों का त्याग विलया। साहा (शाखा) = वृक्ष की शाखा , डाली विशेषण अणुपत्त (अनुप्राप्त) = प्राप्त किया हुआ | पविट्ठ (प्रविष्ट) = प्रवेश किया हुआ उग्ग (उग्र) = तीव्र , प्रबल |लोद्धअ (लुब्धक) = लोभी, लम्पट कुडुबि (कुटुम्बिन्) = कुटुम्बवाला, वावारि (व्यापारिन्) = व्यापारी गृहस्थ |वियाररहिअ (विकाररहित) = चाइ (त्यागिन) = दानी, त्यागी |विकाररहित थिर (स्थिर) = निश्चल, स्थिर सुमिणतुल्ल । (स्वप्नतुल्य) = दुहि (दुःखिन्) = दुःखी सुविणतुल्ल स्वप्नसमान धणि (धनिन्) = धनवान सुहि (सुखिन्) = सुखी अव्यय अदुव ) (दे.) = कि, अथवा कए । (कृते) = के लिए, निमित्त , अदुवा कएण-णं अदु । तो (तदा) = तब , उस समय उदाहु । (उताहु) = अथवा, कि, . पए (प्रगे) = प्रभात में उयाहु) पुरओ (पुरतस्) = आगे णु । (नु) = वितर्क , प्रश्न, हेतु, पश्चाताप नु । - १०९
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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