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________________ नेज्ज-नेज्जा के रूप नेज्जस्सं, नेज्जस्सामि, नेज्जहामि, नेज्जाहामि, नेज्जहिमि, नेज्जाहिमि, नेज्ज, नेज्जा आदि रूप बनते हैं। नेएज्ज-नेएज्जा अंग के रूप प्र. पु. एकवचन - नेएज्जस्सं, नेएज्जस्सामि, नेएज्जहामि, नेएज्जाहामि, नेएज्जहिमि, नेएज्जाहिमि, नेएज्ज, नेएज्जा आदि रूप बनते हैं। इसी तरह सर्वपुरुष सर्ववचन में रूप बनाने चाहिए । 4. कर् धातु का भविष्यकाल में 'का' आदेश विकल्प से होता है, आदेश न हो तब तो प्रथम पुरुष एकवचन में काहं रूप विकल्प से होता है । इसी प्रकार दा धातु का भी दाहं रूप विकल्प से होता है । का (कृ) के रूप एकवचन बहुवचन प्र. पु. काहं, कास्सं कास्सामो-मु-म, कास्सामि, काहामि, काहामो-मु-म, काहिमि काहिमो-मु-म काहिस्सा, काहित्था द्वि. पु. | काहिसि, काहिसे काहित्था, काहिह तृ. पु. | काहिइ, काहिए, काही । काहिन्ति-न्ते, काहिरे 5. संयुक्त व्यंजन के पूर्व 'उ' का 'ओ' होता है और 'इ' का 'ए' विकल्प से होता है। उदा. पोक्खरं (पुष्करम्) . वेण्हू, विण्हू (विष्णुः) पोत्थओ (पुस्तकः) धम्मेल्लं, धम्मिल्लं (धम्मिल्लम्) मोण्डं (मुण्डम्) पेण्डं, पिण्ड (पिण्डम्) अपवाद : किसी स्थान में 'ए' नहीं होता है । उदा. चिंता (चिन्ता) - १०६ -
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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