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________________ विशेषण | माणि (मानिन्) = अभिमानी वसीहूअ ( वशीभूत) = वश हुआ वाम (वाम) = बाँया, प्रतिकूल विसाल (विशाल) = बड़ा सत्त (सक्त) = आसक्त समाण (समान) समान | समीहिअ ( समीहित) = इष्ट, वांछित पउण (प्रगुण) = होशियार सार (सार) = श्रेष्ठ, उत्तम पत्थिअ (प्रार्थित) = मांगा हुआ, प्रार्थना सुक्क (शुक्ल) = शुक्ल, शुक्ल = सफेद वर्णवाला, सफेद किया हुआ मांसभोइ (मांसभोजिन् ) खानेवाला अउल्ल ) (अतुल्य) = असाधारण अतुल्ल किण्ह (कृष्ण) = श्यामवर्णवाला, काला गिहासत्त (गृहासक्त) = घर में आसक्त जाय (जात) = उत्पन्न हुआ दढ (दृढ ) = मजबूत, निश्चल, समर्थ दव्वलुद्ध (द्रव्यलुब्ध) द्रव्य में लोभी निय (निज) = अपना = मांस उअ (पश्य) = 'तू देख' इस अर्थ में उवरि-रिं । (उपरि) = ऊर्ध्व, ऊपर अवरि-रिं जदो जत्तो अव्यय उ) (तु) = समुच्चय, अवधारण, किन्तु, जइणा (यदा) = जब तु निश्चय, प्रशंसा, पादपूर्ति जया पाओ | पायसो जओ ( यतः ) = जिससे, जिस कारण से, जिस तरफ से पाएण पाणं आइग्घ् (आ + घ्रा) = सूंघना आढव् (आ + रभ्) = शुरू करना आ + राह् (आ + राध्) = आराधना करना, उपासना करना धातु = सदृश, तुल्य, पुरा (पुरा) पूर्व, पहले मुसा मूसा (मृषा) = असत्य, मोसा | उट्ठ (प्रायस् ) = ज्यादातर, अधिकतर, शायद प्रायः झूठा (उत् + स्था ) = उठना उट्ठा गिज्झ् (गृध्-गृध्य) = आसक्त होना | उद्दाल् ( आ + छिद्) = छीनना १००
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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