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________________ कृ = अकासी / अकासि । (अकार्षीत्) तृ. पु. एकवचन वच् = अवोच (अवोचत्) तृ. पु. एकवचन भू = अभू (हू) (अभूत) . -- - तृ. पु. एकवचन अस् = आसी (आसीत्) तृ. पु. एकवचन अस् = आसिमो, आसिमु (आस्म) . प्र. पु. बहुवचन दृश् = अदृक्खु (अद्राक्षुः) तृ. पु. एकवचन 8. शब्द के अन्दर ष्ट का ह होता है और प्रारम्भ में ष्ट का ठ होता है । (२/३२,३४) उदा. पुट्ठो (स्पृष्टः) कटुं कष्टम्) अणिटुं (अनिष्टम्) अपवाद • उष्ट्र, इष्टा और संदृष्ट इन शब्दों में ष्ट का ट्ठ नहीं होता है । उदा. उट्टो (उष्ट्रः) इट्टा (इष्टा) संदट्टो (संदृष्टः) 9. सरअ (शरद), पाउस (प्रावृष), तरणि (तरणि) इन शब्दों का प्रयोग पुंलिंग में होता है । (१/३१) शब्दार्थ (पुंलिंग) अभयकुमार (अभयकुमार) = श्रेणिक | पवण (पवन) = पवन, वायु राजा का पुत्र अभयकुमार पहिअ (पथिक) = मुसाफिर अमर (अमर) = अमर, देव पारेवअ, पारावअ (पारावत) = कबूतर उसम, उसह, (ऋषभ, वृषभ) = प्रथम भबजीव (भव्यजीव) = भव्यजीव जिनेश्वर का नाम, ऋषभदेव रावण (रावण) = विशेषनाम, रावण काल (काल) = समय, काल वसह (वृषभ) = बैल केसरि (केसरिन्) =सिंह वीसाम, विस्साम (विश्राम)=विश्रान्ति, गणहर (गणधर) = गणधर विराम घड (घट) = घड़ा जडणधम्म (जैनधर्मी जिनेश्वर का धर्म| सद्ध (श्राद्ध) = श्रावक, श्रद्धालु जय (जय) = जय, जीत सरअ (शरद) = शरदऋतु जिणिंद, जिणंद जिनेन्द्र) = जिनेन्द्र, तीर्थंकर | ससंक (शशाङ्क) = चन्द्र जीवियंत (जीवितान्त) = प्राणों का नाश | संजम (संयम) = संयम, चारित्र, पाप दुज्जण (दुर्जन) = दुर्जन, दुष्ट से विरति देस (देश) = देश सीयाल (शीतकाल) = शीतऋतु धअ, झअ (ध्वज) = ध्वज सेणिअ (श्रेणिक) = मगधदेश के राजा नय (नय) = नय, नीति का नाम नरवइ (नरपति) = राजा हालिअ (हालिक) = किसान ७८ BS
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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