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________________ आओ संस्कृत सीखें आवाज द्वारा आकाश को भर दिया । 4. स्वामी के कार्य को सिद्ध करने में अभिमानी ऐसे विद्याधर, विमानों द्वारा, रथों द्वारा, घोड़ों द्वारा, हाथियों द्वारा और दूसरे वाहनों द्वारा आकाश में चले। समुद्र के ऊपर से जा रही सेना के साथ राम क्षणभर में वेलंधर पर्वत पर वेलंधर नगर में पहुँचे । वहाँ समुद्र की तरह दुर्धर और उद्धत, समुद्र और सेतु राजा ने राम की अग्र सेना के साथ लडाई शुरू की । आप उन चार (श्रेष्ठियों) की चार पुत्री होंगी, वहाँ मनुष्य बने हुए उस (देव) के साथ तुम्हारा संगम होगा । और मनक मुनि के काल धर्म होने पर श्री शय्यंभवसूरि ने, शरद् ऋतु के मेघ के समान नयनों से अश्रुजल बरसाया । उस नगर में समान उम्र के चार वणिक् थे, वे उद्यान के वृक्ष की तरह वास्तव साथ में वृद्धि को पाए थे I 10. और उसके बाद सेवा के लिए पास में आए हुऐ और प्रणाम करते हु राजा ने क्रोध से अपना मुँह मोड़ लिया । 11. क्या इस (हवेली) में जाऊ अथवा 'क्या इस (महल) में जाऊं इस प्रकार हवेलियों को देखते मुनि पुंगव पूरे नगर में घूमे । 12. वह बोला, 'मैं मीठे और पके फल वन में से लाया हूँ, ओ महर्षियो ! आप खाओ! 5. 6. 7. 8. 314 9. मंत्री से 13. बड़े समुद्र में से मिले हुए रत्नों से देव खुश नहीं हुए, भयंकर विष से भी भयभीत नहीं हुए, अमृत के बिना रुके नहीं, वीर पुरुष निश्चित किए लक्ष्य से रुकते नहीं हैं । 14. ग्रहण किया है भारी किराणा जिसने और साक्षात् उत्साह समान उसने एक दिन वसंतपुर जाने के लिए इच्छा की । 15. और बुरे आशयवाले उन्होंने प्रत्येक स्थान के चैत्यों (मंदिरों) को तोड़ डाला क्योंकि उनको जन्म से ही संपत्ति से भी धर्म को ध्वंस करने में ज्यादा रस होता है। 16. उसके बाद राम ने दशरथ को कहा, 'अगर पिताजी स्वयं म्लेच्छ का संहार करने के लिए जायेंगे, तो छोटे भाई (लक्ष्मण) के साथ राम क्या करेगा ? 17. लगता है पृथ्वी पर रहे हुए देव न हो, उस प्रकार भृकुटी को बिना हिलाए राम ने, शस्त्रों द्वारा जैसे शिकारी मृग के झुंड को मारते हैं वैसे उन करोडों को मार
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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