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________________ आओ संस्कृत सीखें 24 2525 | पाठ - 341 इतरेतर द्वन्द्व और समाहार द्वन्द्व 1. एक साथ बोलते समय और (च) अव्यय से जुड़े नाम समास होते है, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। उदा. प्लक्षश्च न्यग्रोधश्च = प्लक्षन्यग्रोधौ (इतरेतर द्वन्द्व ) . वाक् च त्वक् च (अनयोः समाहारः) वाक्त्वचम् (समाहार द्वन्द्व ) धवश्च खदिरश्च पलाशश्च - धवखदिरपलाशाः पीठं च छत्रं च उपानच्च-(एतेषां समाहारः) पीठ च्छत्रोपानहम् समाहार द्वंद्व नपुंसक लिंग एक वचन में ही होता है । निम्न प्रसंगों में समाहार ही होता है : 2. सेना के अंग और क्षुद्रजंतु का बहुवचन में समाहार ही होता है । उदा. अश्वाश्च रथाश्च = अश्वरथम् । रथिकाश्च अश्वारोहाश्च = रथिकाश्वरोहम् । हस्तिनश्च अश्वाश्च = हस्त्यश्वम् । यूकाश्च लिक्षाश्च = यूकालिक्षम् । इसी तरह यूकामत्कुणम् । दंशमशकम् । कीटपिपीलिकम् । एकवचन में इतरेतर होता है - अश्वरथौ 3. प्राणी के अंग और वाद्ययंत्र के अंगों का समाहार ही होता है। उदा. दन्ताश्च औष्ठौच = दन्तौष्ठम् । पाणी च पादौ च = पाणिपादम् । कर्णनासिकम् । शिरोग्रीवम् । शङ्खश्च पटहश्च = शङ्खपटहम् । भेरीमृदङ्गम् । 4. नित्य वैरवाले शब्दों का समाहार ही होता है । उदा. अहिश्च नकुलश्च = अहिनकुलम् । एवं मार्जारमूषकम् ब्राह्मणश्रमणम् । अश्वमहिषम् । काकोलूकम् ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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