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________________ आओ संस्कृत सीखें ईश = महादेव पार = अंत उमा = पार्वती 1. 2. 3. 4. 5. 6. दासीष्ट, दायिषीष्ट । ग्रहीषीष्ट, ग्राहिषीष्ट । दर्शिषीष्ट, दृक्षीष्ट । घानिषीष्ट, वधिषीष्ट । नंसीष्ट । 2. 220 शब्दार्थ = विशिष्ट शक्ति (पुंलिंग) | लब्धि (पुंलिंग) सान्निध्य = निकटता (स्त्रीलिंग) सांध्य = संध्या संबंधी (स्त्रीलिंग) ( नपुं. लिंग) (विशेषण) संस्कृत में अनुवाद करो पुष्ट सभी लब्धियाँ जिनको वरी हैं, वे गौतम गणधर तुम्हारी लक्ष्मी को (पुष्) सरस्वती देवी हमेशा हमारे मुखकमल में सान्निध्य करे । (कृ) यह पुत्र विद्या के पार को प्राप्त करे । ( पारम् + या) करें । मैं लक्ष्मीवान् बनूँ (भू) और तू पुत्रवान बन । ये दुष्ट मर जाएँ । (मृ) विवेक और पुरुषार्थ को नहीं छोड़नेवाले ऐसे तुम्हें तुम्हारा पुरुषार्थ सिद्धि प्रदान करे । (दा) हिन्दी में अनुवाद करो 1. हे राजन् ! यूयं लक्ष्मीमवृवं द्विषोऽस्तीर्वं पृथिवीं ववृद वे तत्सुखमासिषीध्वं गुरून्स्तूयास्त तथा सान्ध्यविधिं कृषीवं ततश्चैतद्भुवनं यशोभिः स्तीर्षीवम् । यथा समगतोमेशे श्रीः कृष्णे समगंस्त च । संगंसीष्ट त्वयि तथा सा शुभैः संगसीष्ट च ।।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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