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आओ संस्कृत सीखें
1.
2.
3.
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सिषम्
सीस्
सीत्
पाठ
अद्यतन भूतकाल
चौथा प्रकार – परस्मैपद का ही
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चौथे प्रकार के अद्यतनी में धातु के अंत में स् जुडता है ।
यम्, रम्, नम् और आकारांत धातुओं से परस्मैपद में स् (सिच्) के पहले इ (इट्) होता है और धातुओं के अंत में स् जुड़ता है ।
प्रत्यय
सिष्व
सिष्टम्
सिष्टाम्
यम् के रूप
अयंसिष्व
अयंसिष्टम्
अयंसिष्टाम्
अयंसिषम्
अयंसीः
अयंसत्
इसी तरह वि+रम् = व्यरंषिषम्
या - अयासिषम्, अयासिष्व, अयासिष्म, अयासी:
पाँचवाँ प्रकार – परस्मैपद का ही
पाँचवें प्रकार में स् (सिच्) का लोप होता है ।
प्रत्यय
सिष्म
सिष्ट
सिषुः
अयंसिष्म
असिष्ट
अयंसिषुः
अम्
व
स्
तम्
द्
ताम्
उस्
पा (पिब्), अधि + इ ( स्मरण करना गण 2 परस्मैपद) इ (जाना गण 2 परस्मैपदी), दा संज्ञक धातु, भू तथा स्था धातु के बाद आए स् (सिच्) का परस्मैपदी में लोप होता है और लोप होने पर इ ( इट् ) नहीं होता है।
4.
इ (जाना गण 2) तथा इ ( स्मरण करना गण 2 का अद्यतनी में गा आदेश होता है।
म
त