SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 1. 2. 3. 210 सिषम् सीस् सीत् पाठ अद्यतन भूतकाल चौथा प्रकार – परस्मैपद का ही - - 29 चौथे प्रकार के अद्यतनी में धातु के अंत में स् जुडता है । यम्, रम्, नम् और आकारांत धातुओं से परस्मैपद में स् (सिच्) के पहले इ (इट्) होता है और धातुओं के अंत में स् जुड़ता है । प्रत्यय सिष्व सिष्टम् सिष्टाम् यम् के रूप अयंसिष्व अयंसिष्टम् अयंसिष्टाम् अयंसिषम् अयंसीः अयंसत् इसी तरह वि+रम् = व्यरंषिषम् या - अयासिषम्, अयासिष्व, अयासिष्म, अयासी: पाँचवाँ प्रकार – परस्मैपद का ही पाँचवें प्रकार में स् (सिच्) का लोप होता है । प्रत्यय सिष्म सिष्ट सिषुः अयंसिष्म असिष्ट अयंसिषुः अम् व स् तम् द् ताम् उस् पा (पिब्), अधि + इ ( स्मरण करना गण 2 परस्मैपद) इ (जाना गण 2 परस्मैपदी), दा संज्ञक धातु, भू तथा स्था धातु के बाद आए स् (सिच्) का परस्मैपदी में लोप होता है और लोप होने पर इ ( इट् ) नहीं होता है। 4. इ (जाना गण 2) तथा इ ( स्मरण करना गण 2 का अद्यतनी में गा आदेश होता है। म त
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy