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आओ संस्कृत सीखें
4.
5.
इयज, इयाज
इयजिथ,
इयाज
ईजे
ईजिषे
ईजे
इयष्ठ
185
विव्यय,
विव्ययिथ
विव्याय
यज् - परस्मैपदी
ईजिव
ईजथुः
ईजतुः
विव्ये
विव्यिषे
विव्ये
यज् – आत्मनेपदी
जव
विव्याय
जाते.
ऊपे ।
वप् उवप, उवाप । ऊपिव । उवपिथ, उवप्थ, वह् उवह, उवाह । ऊहिव । उवहिथ, उवोढ, ऊहे । वद् उवद, उवाद । ऊदिव । उवदिथ, ऊदथुः ।
वस् उवस, उवास । ऊषिव । उवसिथ, उवस्थ, ऊषथुः । 1 वश् उवश, उवाश । ऊशिव । उवशिथ ।
वच् उवच, उवाच । ऊचिव । उवचिथ, उवक्थ, ऊचथुः व्ये धातु
परोक्षा में द्वित्व होने पर ज्या, व्ये, व्यधू, व्यच् और व्यथ् धातुओं के पूर्व के स्वर काइ होता है । उदा. संविव्याय ।
ईजिम
ईज
ईजु:
ईजिम
धातु के संध्यक्षर का थ (थव्) तथा अ (णव्) प्रत्यय पर आ नहीं होता है । उदा. संविव्ययिथ, संविव्याय ।
जिवे
व्ये + अतुस्, वि + अतुस् वि वि + अतुस् = विव्यतुः ।
व्ये के रूप - परस्मैपदी
विव्यिव
विव्यथुः
विव्यतुः
आत्मनेपदी
विव्यिव
विव्याथे
विव्याते
ईजिरे
विव्यिम
विव्य
विव्युः
विव्यिमहे
विव्यिदवे, ध्वे
विव्यिरे