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________________ आओ संस्कृत सीखें 2184 . 3. ज, भ्रम्, वम्, त्रस्, फण, स्यम्, स्वन्, राज्, भ्राज्, भ्रास्, और भ्लास् - इन धातुओं के स्वर का विकल्प से ए होता है। ए होने पर द्विरुक्ति नहीं होती है । उदा. जेरु: जजरु: । जेरिथ, जजरिथ । भ्रेमुः, बभ्रमुः । भ्रमिथ, बभ्रमिथ । वेमुः, ववमुः, वेमिथ-ववमिथ । त्रेसुः, तत्रसुः। त्रेसिथ, तत्रसिथ । फेणिथ, पफणिथ । स्येमुः, सस्यमुः । फेणुः, पफणुः, स्वेनुः सस्वनुः । स्वेनिथ-सस्वनिथ। स्येमिथ, सस्यमिथ। रेजुः, रराजुः, रेजिथ, रराजिथ । भ्रेजे, बभ्राजे, भ्रसे, बभ्रासे । भ्लेसे - बभ्लासे । 4. श्रन्थ् और ग्रन्थ् धातु के स्वर का विकल्प से ए होता है, ए होने पर न् का लोप होता है और द्विरुक्ति नहीं होती है। उदा. श्रेथुः शश्रन्थुः, श्रेथिथ शश्रन्थिथ । ग्रेथुः जग्रन्थुः, ग्रेथिथ, जग्रन्थिथ । 5. शस्, दद् तथा व से प्रारंभ होनेवाले धातु तथा गुणवाले धातुओं के स्वर अ का ए नहीं होता है। उदा. विशशसुः, विशशसिथ । दददे । वल् - ववले । शृ - विशशरुः, विशशरिथ । य्वृत् विधान 6. यज् आदि (यजादि) धातु, वश् तथा वच् धातु का परीक्षा में द्वित्व होने के बाद पूर्व के स्वर सहित अंतस्था इ. उ तथा ऋ (यवृत्) होता है। उदा. 1) यज् + अ यज्यज् + अ . ययज् + अ = इयाज । 2) यज् + उस् - कित् प्रत्यय पर य्वृत् होता है । यज् + उस् इज् + उस् इज् इज् + उस् = ईजुः ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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