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________________ आओ संस्कृत सीखें 81. आत्मनेपदी वर्तमाना - तृतीय पुरुष - लीढे लिहाते लिहते द्वितीय पुरुष - लिक्षे लिहाथे लीढ्वे शस्तनी - द्वितीय पुरुष - अलीढा: अलिहाथाम् अलीदवम् आज्ञार्थ - द्वितीय पुरुष - लिक्ष्व लिहाथाम् लीढ्वम् 15. अस् धातु के अ का अविशित् प्रत्यय पर तथा स् का सकारादि प्रत्यय पर लोप होता है। उदा. अस् + तस् = स्तः । सत् वर्तमान कृदंत - स्यात् । असि 16. अस् धातु से द् और स् प्रत्यय के पहले ई होता है । उदा. आसीत्, आसी: वर्तमान कृदंत - मृजत्, मार्जत्, विदत्, घनत्, उशत्, द्विषत् लिहत्, दुहत् आदि सभी के रूप चिन्वत् की तरह होंगे। आत्मनेपद में = चक्षाणः, वसान: आदि आस् का आसीनः होता है। कर्मणि में = मृज्यते, हन्यते, वस्यते, आशास्यते आदि वश् का उश्यते वच् का उच्यते वर्तमान कृदंत - मृज्यमानः, हन्यमानः, उश्यमानः दूसरे गण के धातु अस् = होना (परस्मैपदी) |उद्+आस् उदासीन रहना (आत्मनेपदी) मृज् = साफ करना (परस्मैपदी) | ईड् = प्रशंसा करना (आत्मनेपदी) वच् = बोलना (परस्मैपदी) | ईश् = राज्य करना (आत्मनेपदी) वश् = इच्छा करना (परस्मैपदी) |चक्ष् = बोलना (आत्मनेपदी) विद् = जानना (परस्मैपदी) | वस् = पहिनना (आत्मनेपदी) आ+शास्=आशीर्वाद देना (आत्मनेपदी) दिह् = लेप करना (उभयपदी) आस् = बैठना (आत्मनेपदी) | द्विष् = द्वेष करना (उभयपदी)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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