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आओ संस्कृत सीखें
मान = अहंकार (पुं) बड़वृक्ष (पुं.)
वट =
श्वशुर = श्वसुर (पुं.) नियोग
=
स्वभाव = स्वभाव (पुं.)
काक = कौआ (पुं.)
अधिकार, फर्ज (पुं.)
कापुरुष = खराब व्यक्ति (पुं.)
मेष = भेड (पुं.)
-मदन = कामदेव (पुं.) महिष = पाडा (पुं.) मार्जार =
=
=
हृदय अभिधान
गल = गला (नपुं.)
रत्न = रत्न (नपुं.)
हृदय (नपुं)
बिल्ला (पुं.)
रामलक्ष्मण = राम और लक्ष्मण (पुं) शरण = शरण (विशे.) विश्वास श्रद्धा (पुं.) तृष्णा = इच्छा (स्त्री) अंगना = स्त्री (स्त्री)
उचित = योग्य (विशे.) परम = श्रेष्ठ (विशे.) प्रवीण = होशियार (विशे.)
अबला = स्त्री (स्त्री)
पुष्पमाला = फूलमाला (स्त्री) रत्नमाला = रत्नो की माला (स्त्री) मिथिला = नगरी का नाम (स्त्री) काञ्चन = सोना (नपुं.)
कुसुम = फूल (नपुं. )
व्यसन = आदत, संकट (नपुं.) स्वहित = अपना हित (नपुं.)
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= नाम (नपुं.)
पारितोषिक = इनाम (नपुं.)
= अपना (विशेषण)
वस्त्र = कपड़ा (नपुं. ) आत्मीय कुलीन = कुलवान् (विशे.) जैन जैन (विशे.) दरिद्र = गरीब (विशे.)
=
प्रिय
पक्च = पका हुआ (विशे.) = प्यारा (विशे.) विफल = निष्फल (विशे.)
विशाल
= बड़ (विशे.)
शक्य हो सके ऐसा (विशे.)
=
भृश = अत्यंत (विशे.) मनोहर = सुंदर (विशे.) सतत निरंतर (विशे.) तु = और (अव्यय) एवं = इस प्रकार (अव्यय) तत्र = वहाँ (अव्यय)
=
पुनर् = वापस (अव्यय) ततस् = वहाँसे इसलिए (अव्यय) प्रणम्य = प्रणाम करके (सं. भूतकृदंत) परिणीत = विवाहित (भूतकृदंत) गिरा हुआ
भ्रष्ट =
युक्त = जुड़ा हुआ (भूतकृदंत)
1. ये मेरे पिता आते हैं ।
2. उन दुःखों को मैं याद नहीं करता हूँ ।
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