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________________ आओ संस्कृत सीखें डी = उडना रम् = खेलना वृत् = होना सेव् = सेवा करना नी = ले जाना याच् = मांगना आत्मनेपदी धातु (गण 1 ) भाष् = बोलना लभ् शुभ् स्वाद् मुच् (मुञ्च) = छोड़ना, रखना 39 = प्राप्त करना, पाना शोभना = चखना, स्वाद लेना = उभयपदी (1 गण) जन् (जा) = जन्म लेना, पैदा होना राज् = शोभना, राज्य करना वह = वहन करना, बहना छठा गण (उभयपदी) सिच् (सिञ्च) = सिंचन करना चौथा गण - आत्मनेपदी युध् = युद्ध करना संस्कृत में अनुवाद करो 1. युद्ध में योद्धा लड़ते हैं और बाणों को छोड़ते हैं 2. हे राजा ! देवालयों के बिना तुम्हारे गाँव शोभा नहीं देते हैं । 3. मैं पुष्पों द्वारा श्री महावीर की पूजा करता हूँ । 4. हे विनोद ! तेरे बगीचे में पुष्प हैं या नहीं ? 5. नौकर भार वहन करते हैं और अन्न प्राप्त करते हैं । 6. रमेश ! तुम और रतिलाल कहाँ जाते हो ? 7. प्रातः काल में पक्षी आकाश में उड़ते हैं । 8. रतिलाल अथवा शांतिलाल बोलता है । 9. राजा भिखारी को धान्य देते हैं । 10. तालाब में कमल हैं । 11. याचक धन मांगते हैं ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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