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________________ आओ संस्कृत सीखें 174 29 4. दुष्टों का निग्रह और साधु का रक्षण करना राजाओं के लिए योग्य है । 5. लोक में चंदन शीतल है, चन्दन से भी चन्द्रमा शीतल है, इन दोनों से भी साधु की संगत ज्यादा शीतल मानी गयी है । 6. उस गाँव में यश जिसका धन है, ऐसा धन नाम का सार्थवाह था, जैसे सागर नदियों का उसी तरह, वह संपत्तियों का एक स्थान था | पाठ-38 हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. सीतात्मनो ननान्दुः शान्तायाः पादयोरपतत् । 2. योषितां जामाता वल्लभोऽस्ति । 3. अभिमन्यो र्मातु र्नाम सुभद्राऽऽसीत् । हे देवरेष हरिणः शोभनतमोऽस्ति । 4. 5. एषां वैद्यानामौषधानि रोगस्यापहर्तृणि सन्ति । 6. 7. 8. जना नावा समुद्रे तरन्ति । 9. इयं मम स्वसुः श्वश्रूरस्ति । अस्य दातू राज्ञो राज्ञ्योऽपि दात्र्य आसन् । मम भर्तर्येकोऽपि दोषो नास्ति । संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. सच्ची या झूठी मनुष्य की कीर्ति जयवाली होती है । 2. सास के दुःख में बेटी को पिता का घर शरण है । 3. रे चित्त ! क्यों भाई ! पिशाच की तरह दौड़ता है । 4. स्वयं से प्रसिद्ध हुए उत्तम, पिता से प्रसिद्ध हुए मध्यम, मामा से प्रसिद्ध हुए अधम और श्वसुर से प्रसिद्ध हुए अधम में अधम गिने जाते हैं । 5. मित्र, स्वजन, पुत्र, भाई, माता-पिता भी, भाग्य प्रतिकूल होने पर स्वजन को छोड़ देते हैं । 6. लोभी मनुष्य दरिद्रपने की शंका से पैसे को नहीं देता है । और सचमुच दाता उसी शंका से पैसे दे देता है ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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