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________________ आओ संस्कृत सीखें 11593 20. भानोरातपेन तडागस्येदं वारि शुष्यति । । 21. अमुष्मिन् ग्रामे मम त्रीणि मित्राण्यासन् । 22. अस्मिन् कासारे बहूनि कमलानि सन्ति । 23. अस्य बालस्य द्वाभ्यां नयनाभ्यामश्रूणि वहन्ति | संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. उन शांतिनाथ भगवान को बारबार नमस्कार हो । 2. लोभ किसकी मौत के लिए नहीं होता है। 3. पर्वत पर वर्षा हो रही है। 4. सूर्य के उदय से मनुष्य खुश होते हैं । 5. मुनि एक जगह स्थिर नहीं रहते हैं । 6. न्याय से राजा शोभता है । 7. यह हवा पुष्प की सुवास को हर लेती है । 8. यह बालक खेलता है, इसलिए मुझे अच्छा लगता है । 9. भोजराजा कवियों को धन देता था । 10. इस बालक को पढ़ाई अच्छी नहीं लगती है | 11. ये बहुत से लोग इस गाँव से आए हैं। 12. उनके पास से उस बात को मैं जानता हूँ | 13. इन तीनों आचार्यों के चरणों में मैं नमा हुआ हूँ | 14. चन्दन की महक अच्छी होती है । 15. कंकु का स्पर्श कोमल होता है । 16. हर पर्वत पर माणिक्य नहीं होता है, हर हाथी में मोती नहीं होता । सब जगह साधु नहीं होते और हर वन में चंदन नहीं होता | 17. वृक्ष के लिए हवा भय रूप है, शिशिर (ठंडी) ऋतु से कमल को भय है, वज्र से पर्वत को भय है, दुर्जन से साधुओं को भय है | 18. कोई किसी का मित्र नहीं, कोई किसी का शत्रु नहीं, क्योंकि कारण से ही मित्र तथा शत्रु होते हैं। 19. मधु से भौंरा मदोन्मत्त बनता है।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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