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________________ 126 . . आओ संस्कृत सीखें स्वसृ = बहन (स्त्री लिंग) आत्मन् = आत्मा (पुंलिंग) नौ = जहाज (स्त्री लिंग) अधमाधम = अधम से अधम कर्तृ = करनेवाला (विशेषण) ख्यात = प्रसिद्ध (विशेषण) दातृ = दाता (विशेषण) जयिन् = जयवाला (विशेषण) भर्तृ = मालिक (विशेषण) पथ्य = हितकारी (नपुं. लिंग) वक्तृ = वक्ता (विशेषण) मूल = कारण (नपुं. लिंग) श्रोतृ = श्रोता (विशेषण) श्रेयस् = कल्याण (नपुं.लिंग) हर्तृ = हरनेवाले (विशेषण) ऋण = कर्जा (नपुं. लिंग) अर्थ = पैसा (पुलिंग) दारित्र्य = दरिद्रता (नपुं. लिंग) पिशाच = भूत - (पुंलिंग) ननु = निश्चय (अव्यय) मातुल = मामा (पुंलिंग) लुब्ध = लोभी (भूतकृदंत) ज्ञाति = स्वजन (पुंलिंग) संस्कृत में अनुवाद करो 1. सीता अपनी नणंद शांता के पाँव लगी । 2. स्त्रियों को दामाद प्रिय होते हैं। 3. अभिमन्यु की माता का नाम सुभद्रा था | 4. हे देवर ! यह हिरण बहुत सुंदर है | 5. इन वैद्यों के औषध रोगों को हरनेवाले हैं | 6. इस दानेश्वरी राजा की रानियाँ भी दानेश्वरी थीं। 7. मेरे नाथ में एक भी दोष नहीं है । 8. मनुष्य नाव द्वारा समुद्र तैरते हैं | 9. यह मेरी बहन की सास है । हिन्दी में अनुवाद करो 1. सत्या वा यदिवा मिथ्या प्रसिद्धिर्जयिनी नृणाम् । 2. श्वश्रूदुःखे दुहितृणां शरणं शरणं पितुः । 3. रे रे चित्त ! कथं भ्रातः, प्रधावसि पिशाचवत् । 4. उत्तमा आत्मनः ख्याताः, पितः ख्याताश्च मध्यमाः । अधमा मातुलाख्याताः, श्वशुराच्चाऽधमाधमाः ।।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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