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________________ . 2 आओ संस्कृत सीखें 1116 7. अन् अंतवाले नामों के अन् के पहले व्या म् अंतवाला संयुक्त व्यंजन हो तो अन् के अ का लोप नहीं होता है । उदा. आत्मन् + अस् = आत्मनः कर्मन् + ई = कर्मणी परंतु मूर्धन् + अस् = मूर्ध्नः यहाँ व्या म् अंतवाला संयुक्त व्यंजन नहीं होने से लोप हो गया। इन् अंतवाले नाम 8. इन अंतवाले नामों के न के पहले का स्वर, पुंलिंग प्रथमा एक वचन और नपुंसक लिंग में प्रथमा-द्वितीया बहुवचन के इ प्रत्यय पर ही दीर्घ होता है । पुंलिंग के रूप शशी शशिनौ शशिनः शशिनम् शशिनौ शशिनः शशिना शशिभ्याम् शशिभिः शशिने शशिभ्याम् शशिभ्यः शशिनः शशिभ्याम् शशिभ्यः शशिनः शशिनोः शशिनाम् शशिनि | शशिनोः संबोधन हे शशिन् । शशिनौ | शशिनः नपुंसक के रुप | 1. भावि भाविनी | भावीनि भावि भाविनी भावीनि | 3. | भाविना भाविभ्याम् | भाविभिः । | 4. भाविभ्याम् । भाविभ्यः भाविनः भाविभ्याम् । भाविभ्यः भाविनः | भाविनोः | भाविनाम् भाविनि भाविनोः भाविषु | संबोधन | हे भावि! भाविन् । भाविनी | भावीनि 5. 6. 1. | शशिषु भाविने | 5. | 7.
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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