SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें यदि = यदि (अव्यय) पूर्व = पहेला (सर्वनाम) कृत = किया हुआ (विशेषण) . तीक्ष्ण = बारीक (विशेषण) पथ्य = हितकारक (विशेषण) प्रसन्न = खुश (विशेषण) व्यथाकर = पीड़ा करनेवाला (विशे.) सकल = समस्त (विशेषण) 93 मनुष्य सत्य बोले । राजा प्रजा का रक्षण करे । सार = श्रेष्ठ (विशेषण) सुंदर = मनपसंद (विशेषण) फलदायक फलदेनेवाला (विशेषण) असार = खराब, बुरा (विशेषण) असमीक्ष्य (न+सम्+ईक्ष्+य) = अच्छी तरह से देखे बिना (सं. भू. कृ.) तप्त = तपा हुआ (भूतकृदंत) संस्कृत अनुवाद करे = 1. 2. 3. शिष्य गुरु को वंदन करे । 4. हे विद्यार्थियों ! तुम सुबह पढ़ो । 5. यदि तुम सुख छोड़ोगे तो विद्या प्राप्त होगी । 6. यदि राजा प्रजा का पालन करे तो प्रजा राजा की आज्ञा माने । 7. यदि मनुष्य धर्म करेगा तो सुख प्राप्त करेगा । 8. हम यहाँ उद्यान में बैठें । 9. अरे ! मैं राजा की सेवा करूँ या ईश्वर का भजन करूँ ? 10. हे लोगो ! सदाचार का पालन करना चाहिए और लोभ का त्याग करना चाहिए | 11. यहाँ झाड़ के नीचे बैठकर हम विश्राम लें । 12. आज रात्रि में बरसात हो भी सकती है । 13. यदि मैं सत्य बोलूँ तो राजा द्वारा कैदखाने में से मुक्त बनूँ । 14. 'अब मैं अधर्म नहीं करूंगा' इस प्रकार उस राजा ने धर्माचार्य को कहा । 15. अब तुम्हे धन का लोभ छोड़ना चाहिए । 16. राजा ब्राह्मणों को गायें देता है । 17. चंद्र आकाश में प्रकाश दे । 18. कदाचित् राम रावण के साथ युद्ध करे । 19. अग्नि द्वारा तपा हुआ सोना पिघल जाता है । (दु) 20. मिट्टी के घड़े बनते हैं और सोने के अलंकार बनते हैं ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy