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________________ 89 आओ संस्कृत सीखें संस्कृत में अनुवाद करो 1. मेघ के बरसते मोर नाचते हैं । 2. दीपक होने पर अग्नि की अपेक्षा कौन रखता है ? 3. महल में प्रवेश करती हुई रानियों को देखते हुए राजा खडा है । 4. समय बीतने पर उसका शोक शांत हुआ | 5. दिन बीतने पर रतिलाल पंडित हुआ । 6. बेल का मूल नष्ट होने पर पत्ते सूखते हैं । 7. गुरु के खड़े रहने पर भी शिष्य बैठते हैं । 8. जीवित मनुष्य कल्याण देखता है । 9. सज्जन का सज्जन के साथ संग पुण्य से ही होता है | 10. गाँव जाती हुई माता को देख बाला रोती है । 11. तुम्हारे घर आने पर मुझे आनंद होता है । 12. वन में चरती हुई गायों ने तालाब में पानी पीते हुए बाघ को देखा । 13. चोर इस मार्ग से जानेवाले लोगों का धन नहीं चुराते हैं । 14. दौड़ते हुए घोड़े के ऊपर से वह गिर गया । 15. चौरों के द्वारा चुराए हुए, आभूषण हमें मिले । 16. लोगों को पीड़ा देनेवाले मनुष्यों को राजा दंड देता है और मारता है । हिन्दी में अनुवाद करो 1. नगरं प्रविशती मित्रे युष्माकं मुदे कथं न भूते? । 2. सतीं सीतां रामो वनेऽत्यजत् । 3. उपाये सति कर्तव्यं सर्वेषां चित्तरञ्जनम् । 4. पताकाभि भूष्यमाणे जिनप्रासादे गायन्त्यो रममाणाश्च बाला जनकेन दृष्टाः । 5. देवेनानुभूयमानाय सुखाय नृपो नित्यं स्पृहयति । 6. अस्मिन्कासारे प्रभूतैः कमलै भूयमानमस्ति । 7. नाथे कुतस्त्वय्यशुभं प्रजानाम् । . 8. यस्मिञ्जीवति जीवन्ति बहवः, सोऽत्र जीवति ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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