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________________ रायपसेणियसुत्त करेंति । अप्पेगइया जलंति, अप्पेगइया तवंति अप्पेगइया पतवेंति, अप्पेगइया तिन्निवि । अप्पेगइया हक्कारोति, अप्पेगइया थुक्कारोति, अप्पेगइया धक्कारेंति (पुकारेंति ), अप्पेगइया साइं २ नामाई साहेति, अप्पेगइया चत्तारिवि । अप्पेगइया देवा देवसन्निवायं करेंति, अप्पेगइया देवुज्जोयं करोति, अप्पेगइया देवु. कलियं करोति । अप्पेगइया देवा कहकहग करेंति, अप्पेगइया देवा दुहदुहगं करेंति, अप्पेगइया चेलुक्खेवं करोति । अप्पेगइया देवसन्निवायं देवुज्जोयं देवुकलियं देवकहकहगं देवदुहदुहगं चेलुक्खेवं करोति । अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्तपत्तइत्थगया। अप्पेगइया कलसहत्थगया, जाव धूवकडुच्छुयहत्थगया हट्टतुट जाव हियया सवओ समता आहावंति, परिधावंति । तर णं तं सूरियाभं देवं चत्तारिसामाणियसाहस्सीओ जाव सोलसआयरक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे सूरियाभरायहाणिवत्थया देवा य देवीओ य महया २, इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति । २ पत्तय २ करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट एवं वयासी-"जय २ नंदा जय २ भद्दा, जय जय नंदाभदा ते अजियं जिणाहि, जियं च पालेहि, जियमझे वसाह, इंदा इव देवाणं, चंदो इव ताराण, चमरा इव असुराणं, धरणा इव नागाणं, भरहा इव मणुयाणं, बहूई पलि. ओवमाई बहूई सागरावमाई, बहूई पलिओवमसागरावमाई चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं सूरियाभस्स विमाणस्स अन्नेसिं च बहूणं सूरियाभविमाणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव महया २ करेमाणे पालेमागे विहराहि" ति कट्ट जय जय सदं पउंजंति। तए णं से सूरियाभे देवे महया २ इंदाभिसेगेणं अभिसित्ते समाणे
SR No.023121
Book TitleRai Paseniya Suttam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal B Gandhi
PublisherHiralal B Gandhi
Publication Year1938
Total Pages300
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & agam_rajprashniya
File Size18 MB
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