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________________ (१८) मूल तथा मापांतर. थोडा होय, अने उपशांत मोह तेनायी पंख्यात गुगा होय. एम पण था शके. तेमनाथी (क्षीगमोहथी ) सूक्ष्म संपराय, अनि. वृत्ति अने अपूर्वकरण एत्रणे गुणठाणे वर्त्तता जीवो विशेष अधिक होय छे तेओ पोतपोताने स्थाने एक बीजानो तुल्य ( मरखा) होय छे. ७९. जोगि अपमत इयरे संखणा देस मासणा मिस्सा। अविरय अजोगी मिच्छा चउर असंखा दुवे गंता ॥ ८ ॥ अर्थ तेमनाथी सयोगी केवली संख्यात गुणा होय छे. कारण के तेओ बेथी नव करोड पामो शकाय छे. तेमनाथी अप्रमत्त संख्यात गुणा होय छे, कारण के तेओ बे हजार करोडयी नव हजार करोड पामी शकाय छे. तेमनाथी बीना एटले प्रमत्त गुणस्थानवाळा संख्यात गुणा होय छे, कारण के घणा जीवो प्रमादी . होय छे, अरे प्रमत्तपणुं घणा काळ सुधी रहे छे. तेमनाथी देशविरत, सास्वादन, मिश्र अने अविरत ए दरेक असंख्यात गुणा होय छ, कारण के देशविरतिने धारण करनार तियेचो असंख्याता छे. सास्वादनवाला तो कोइ वार न पण होय. अने होय त्यारे पण जघन्यथी एक बे होय छे, तथा उत्कृष्टथी देशविरति करतां असंख्याता होय छे. तेमनायी मिश्र असंख्यात गुणा होय छे, कारण के सास्वादनना छ आवळीकाल्प उत्कृष्ट काळ करतां मिअनो आंतहिर्तिक काळ घणो मोटो छे. तेमनाथी अविरतो असंख्यात गुणा होय छे, कारण के ते गुणस्याने चारे गतिना जीवो होय है. अविरताथी भवस्य (केवळी ) अने भवस्थ (सिद्ध ) एवे प्रकारना अयोगी अनंता के, कारण के सिद्धो अनंता के. मनावी मिथ्यादृष्टियों अनन गुणा छे, कारण के मां अनं .पनसति काय जीवोनो समावेश वाय.२ तेओ मिथ्यारष्टिन के.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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