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________________ (५८) मूल तथा भाषांतर. ___ अर्थ-सो करोड (एक अवज) त्रेसठ करोड अने चोरामी लाख (१६३८४०००००, योजनना वलय विष्कभ (घेरावा)वाळो, जंबूद्वीपथी आठमो नंदोश्वर नामनो द्वीप छे. ते द्वीप समग्र सुर अने असुरना समूहने आनंद आपनार तथा मोटा जिनालयो उद्या. नो, पुष्करिणीओ (वावो) अने पर्वतो विगेरे पदार्थोंना समूहथी उत्पन्न थयेली विभूतिवडे इश्वर (श्रेष्ठ) छे, तेथी ते नंदीश्वर एवा सार्थक नामवाळो छे. ते द्वीपना वलयना मध्य भागमा पूर्व विगेरे चारे दिशाओमांनी दरेक दिशामां एक एक भागे (मध्य भागे) चार अंजनगिरि रहेला छे. तेमनां नाम आ प्रमाणे छे:-पूर्व दिशामां देवरमण नामे, दक्षिणमां नित्योद्योत नामे, पश्चिममा स्वयंप्रभ नामे अने उत्तरमा रमणीय नामे अंजनगिरि छे. ६०. हवे ते अंजनगिरिनुं स्वरुप कहे छे:गोपुच्छा अंजगमय चुलसीसहरसुच्च सहसमोगाढा । समभुवि दससहसपिहु सह मुवरि तेसिं च उदिसिसु॥११॥ ... अर्थ-उंचा करेला गायना पुच्छना संस्थाने रहेला एटले के जेम गायन पूछडं मूळमां स्थूळ होय अने उपर जतां अनुक्रमे नानुं नानु (पातळु पातळ) होय, तेम आ चारे अंजन पर्वतो मूळमां अधिक विस्तारवाळा अने उपर उपर अनुक्रमे थोडा थोडा विस्तारवाळा छे ते पर्वको सर्वथा अंजन रत्नमय (नील रत्नमय) छे, ते चारे पर्वतो वहारथी (पृथ्वीपरथी ) चोराशी हजार योजन उंचा छे, एकहजार योजन पृथ्वीनी अंदर रहेला छे. पृथ्वीनी सपाटी उपर (तळेटीए) दशहजार योजनना विस्तारवाळा छे, अने त्यार पछी उपर जतां अनुक्रमे हीन थतां थतां छेक उपर एकहजार योजनना विस्तारवाला छे. ते पर्वतोनी परिधि (घेराव) मूळमां (तळेटीए) एकत्रीश हजार छसेंने वीश (३१६२३) योज
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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