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________________ ( २८ ) नेर मूल तथा भाषांतर. सत्तविहा पज्जतणेग चउदसहा । अडचत्ताईसंखा तिरिनरदेवाण पुण एवं ॥ ९ ॥ अर्थ - रत्नप्रभा पृथ्वी आदि सात भेदे करीने नारकीओ सात प्रकारना छे. तेओ पर्याप्त अने अपर्याप्त एवा बे भेदवाळा होवाथी चौद प्रकारना थाय छे. तथा तिर्यच, नर अने देवोना अ डताळीश विगेरं भेदोनी जे संख्या कही छे ते. आ प्रमाणे ( वक्ष्यमाण) प्रकारे थाय छे. तेज कहे छे: भूदग्गिवाउअनंता वीसं सेसतरु विगल अट्टेव । गन्भेयर पज्जेयर जलथलनहउरभुआ वीसं ॥ १० ॥ अर्थ - पृथ्वी, अप, तेज, वायु अने अनंतकाय (साधारण) वनस्पति ए पांच (स्थावरना ) मूळ भेद छे तेओ सूक्ष्म अने बादर एवा बे प्रकारना होवाथी तेमना दश भेद थाय छे. ते दशे प्रर्याप्त अने अपर्याप्त भेदवाळा होवाथी वोश प्रकार थया. हवे शेष वनस्पति एटले प्रत्येक वनस्पति अने द्वींद्रिय, त्रींद्रिय, चतुरंद्रियरूप विकेलेन्द्रि, एम चार प्रकार थया, ते चारे पर्याप्त अने अपर्याप्त भेदे करीने आठ प्रकारना थया हवे गर्भज ने इतर - पंमूर्छिम, अने पर्याप्त ने इतर - अपर्याप्त भेदे कीने चार प्रकारना पांच जातिना तिर्यच पंचेन्द्रियो छे. ते पांच जति आ प्रमाणे- जळचर, स्थळचर, खेचर, उरपरिसर्प अने भुजपरिसर्प आ पांचेने उपरना चार भेद बडे गुणवाथी वीरा भेद थया. एम पूर्व कहेला वीश एकेन्द्रियो, प्रत्येक वनस्पति अने विकलेन्द्रिय मळीने, आठ तथा वीश पंचेन्द्रियो ए सर्वे महीने निर्यचना अडताळीच भेद थया. १०. हवे मनुष्यना मेदो कहे छे:
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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