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________________ (१०८) निगोद निशिका. उत्कृष्ट. पद उपर होवाथी उत्कृष्ट पद सर्व जीव करतां विशेषाधिक थाय छे. २८. तेसिं पुण रासीणं, निदरिसणमिणं भणामि पच्चक्खं । सुहगहणगाहणत्थं, ठवणारासिप्पमाणेहिं ॥२९॥ तेर्सि-ते गहण-ग्रहण राशि रासीणं-राशीओनु गाहणत्थं-ग्रहण करा. | पमाणेहिं-प्रमाणवडे निदरसिणं-दृष्टान्त ववा माटे पच्चक्खं-प्रत्यक्ष भणाभि-कई छ । उवणारासि-स्थापना | सुह-सुखे ____ अर्थ-वळी ते राशिओने (जीवराशि, उत्कृष्टपदे जीवप्रदेश राशि तथा एक निगोदमां जीव राशि) मुख पूर्वक ग्रहण करवा तथा कराववा माटे (कल्पनावडे ) स्थापन करेल जीव तथा प्रदेशोना राशि प्रमाणथी प्रत्यक्ष दृष्टान्त कहुं छु. २९. गोलाण लक्ख मिक, गोले गोले निगोय लक्खं तु । इक्किक्कय निगोए, जीवाणं लक्खमिकिकं ॥३०॥. गोलाण-गोलाओ | गोलेगोले-दरेकगोळामा निगोए-निगोदमां लख्खं-लाख तु-वळी जीवाण-जीवो एक-एक इक्किके-एक एक अर्थ-(कल्पनाथी) गोलाओ एक लाख थे, दरेक गोलामां लाख लाख निगोद छे. अने एक एक निगोदमां जीवो लाख लाख छे. ३०. कोडिसयमेगजीवप्पएसमाणं तमेव लोगस्स । गोल निगोयजीयाणं, दसउ सहस्सा समोगाहो ॥३१॥ कोडिसयं-सो क्रोड । दसउ-दश समोगा-सरखी माणं-प्रमाण लोगस्स-लोकाकाशना सहस्सा-हजार अवगाहना
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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