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________________ मूल तथा भाषांतर. ( २०७ ) अर्थ — अथवा जे कारण माटे लोकने विषे सूक्ष्म निगोदना गोळाओ अवगाहनाने आश्रीने घणे भागे सरखा छे. ते कारण माटे एक एक जीवने बुद्धि बडे लोकने विषे विस्तारवा. २६. विवेचन - सूक्ष्म निगोदना गोलाओ जीवनी संख्या वढे घणे भागे सरखा छे. खंड गोला साथै व्यभिचार दोष दूर करवाने माटे गायामां बहु शब्द मूक्यो छे. कल्पनावडे एक गोला संबंधी अवगाहनाने विषे एक हजार कोटी जीवो रह्या छे. आवा गोलाओ कल्पनाथी लोकने विषे एक लाख छे. अवगाहनाथी पण बधा गोलाओ सरखा छे. कल्पनाथी दरेक गोलाओ आकाशना दश हजार प्रदेशने विषे व्यापीने. रह्या छे. हवे आकाशना एक प्रदेशने विषे रहेला जीव प्रदेशो तथा समग्र जीवो आ बनेनुं सरखापणुं जाणवाने माटे एक एक जीवने बुद्धिवडे केवली समुद्घात गतिथी विस्तारवा. एटले एक गोला संबंधी जीवना जेटला प्रदेशो छे. कल्पनावडे दश कोटाकोटी, तेटलाज प्रदेशो लोकाकाशना एक प्रदेश उपर छ. केवली समुद्घातनी माफक जीव प्रदेशानो विस्तार कर्ये छते जीवो पण तेटलाज छे. आधी करीने उत्कृष्टपदे जीवनदेशो तथा समग्र जीवो बने तुल्य थाय छे. २७. एवं पि समा जीवा, एगपएसगयजिय पएसेहिं । बायर बाहुल्ला पुण, हुंति पएसा विसेस | हिया ||२८|| एपि-ए प्रमाणे बाहुला-बाहुल्य पणाथी विशेषाहिया - विशेपाधिक समा-खरखा हुति-छे बादर - बादर निगोदना पएसा प्रदेशो अर्थ-ए प्रमाणे जीवो तथा एक आकाश प्रदेश उपर रहेला जीव प्रदेशो ने सरखा छे. पण बादर निगोद जीवोना प्रदेशो
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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