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________________ (२०२) निगोद व विशिका. गोलेहिं हिए लोगे, आगच्छइ जं तमेगजीवरस । उक्कोसपयगयपएस-रासितुल्लं हवइ जम्हा ॥२१॥ गोलेहि-गोलानी (अ- ज-जे गय-गत, रहेली घगाहना) वडे रासि तुल्लं-राशि हिए-भागवाथी एगजीवस्स-एक तुल्य लोगे-लोकाकाशने जीवना हवा-होय छे. आगच्छा-आवे छे. । उक्कोसपय-उत्कृष्ट पह | जम्हा-जे माटे अर्थ-माटे लोकाकाशने गोलानी अवगाहना) वडे भागवाथी जे राशि आवे ते राशि तुल्य एक जीवना उत्कृष्ट पदे रहेला प्रदेशा होय छे. २१. विवेचन:-लोकाकाशना प्रदेश राशिने एक गोलानी अवगाहना जे अंगुलना असंख्यातमा भाग जेटली छे. तेना वडे भागवाथी जे राशि आवे तेटलाज उत्कृष्ट पदे एक जीवना प्रदेश होय छ. ते असत्कल्पनाथी समजावे छे:-लोकाकाशना प्रदेशो असंख्याता छे ते कल्पनाथी सो कोटि अथवा अवज गणवा. अने गोलानी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भाग जेटली छे. तेने दशहजार कल्पवा. हवे अबजने दश हजारे भागवायी एक लाख आवे. अने एक जीवना प्रदेशो पण लोकाकाश प्रदेश तुल्य होवायी असत्कल्पनाए अबज छे. अने जीवनी अवगाहना पण अंगुलना असंख्यातमा भागनी एटले असत्कल्पनाए दश हजार प्रदेशनी छे माटे अबजने दशहजारे भागवाथी पण एक लाख आवे माटे ते बंने राशि सरखी जाणवी. २१. अहवा लोगपएसे, इक्किके ठवय गोलमिक्किकं । एवं उक्कोसपणक जियपएसेसु मायंति ॥२२॥ अहवा-अथवा इकिक-एक एकमां. एक्कजियपएसेसु एक लोगपएसे-लोकप्रदे- | ठवय-स्थापो जीवना प्रदेशोमां. शमां. | पर्व-ए प्रमाणे मायंति-माय छे.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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