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________________ मूल तथा भाषांतरं (२४७) mmmmmmmmmwwwwww मरहेरवय-भरत अने | सुर-देव । | सुहम-सौधर्म ऐरवत नारी-मनुष्यनी स्त्री | इसाण-शान जम्मा-जन्मथी सूरीहि-देवीमांथी | पढमदुग-प्रथमनीबे झुगलोण-युगलीभाना | उवएस-उपदेश | नरया-नारकी संख-संख्याता लद्धीए-लब्धिवडे | थी-स्त्रीवेदी सम-वर्ष . | सयबोहीओ-स्वयंवुद्ध कीवेसु-नपुंसक वेदीने संहरण-संहरणथी सवं-पोते ! मंखिज-संख्याता तिरिह-तिर्यचनी स्त्री उपएसा-उपदेशथी । अर्थ-भरत अने ऐरवतक्षेत्रमा जन्मथी युगलिआना काल जेटलं अंतर जाणवू. अने संहरणथी संख्याता हजार वर्षतुं अंतर जाणवू. नारकी अने तिर्यंचथी आवेलाने अनुक्रमे हजार वर्ष अने शतपृथक्त्व वर्षनुं अंतर जाणवू. ॥२१॥ तिर्यचनी स्त्री, देवता, मनुष्यनी स्त्री अने देवीमांथी आवेलाने उपदेश लब्धिए सिद्धि पामेलाने साधिक वर्षतुं अंतर जाणवु. अने स्वयंबुध्ध एवा तेओने संख्याता हजार वर्षनु अंतर जाणवू. १२२। पृथ्वीकाय, अपकाय, वनस्पतिकाय, सौधर्म अने इशान तथा प्रयमनी बे नरकने विषे संख्याता हजार वर्षनु अंतर जाणवू. वेद. द्वारे स्त्री अने नपुंसकवेदी तेमज आठ भांगाने विष संख्याता हजार वर्षनुं अंतर जाणवू. विवेचन २ गतिद्वारे-जन्मथी युगलिक काल जेटलुं एटले कांइक ओछा अढार सागरोपम प्रमाण अंतर जाणवू. अवसर्पिणीनो पहेलो बीजो अने त्रीजो तेमज उत्सर्पिणीनो चोयो पांचमो अने छठो आरो संहरणथी संख्याता हजार वर्ष.. . ___ ३ गतिद्वारे-नरक गतिथी आवेलाने हजार वर्षनु अंतर अने तिर्यंच गतियी आवेळाने शतपृथक्त्व वर्षन अंतर जाणवू. ॥२१॥
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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