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________________ ( १३८) सिरपंचाशिका. - अर्थ-त्रीजा अने चोथा आरामा एकसो आठ, पांचमामा वीस अने बाकीना आरामा दश दश नरकत्रिक, भवनपति, न्यंतर, नर, ज्योतिष, तिर्यच अने तिर्यचणीना आवेला दस दस सीझे.११ विवेचन-२ कालद्वार-उत्सर्पिणी अने अवसर्पिणीना त्रीजा भने चोया ए दरेक आरामां एकसो आठ सीझे. अवसर्पिणीना पांचमा आरामां वीस. ते वे कालना वाकीना आराओमा दरेकमा संहरणयी दश दश सीझे. . ३ गतिद्वार-रत्नप्रभा, शर्करापमा अने वालुकाप्रभा एत्रण नरक, भवनपति, व्यंतर, मनुष्य, ज्योतिषि, तियेच अने तिर्यचिणी एमाथी आवेला दश दश सीझे. ११. धमाणि अठसयं, हरिय छऊ पंकपुठविजल चउरो। जोइ विमाणि नरिधी, वीसं भवणवण थी पणगं ॥१२॥ माणिअ-वैमानिक | पुषि-पृथ्वीकाय विमाणि-वैमानिक हरिय-वनस्पति जळ-अप्काय रिस्थि-मनुष्य बी उरा-सारथी -श्री पंक-पंकप्रमाजोर-ज्योतिषपणगं-पांच अर्थ-वैमानिकयी एफसो आठ, वनस्पतिकाययी छ, पंक प्रभा, पृथ्वीकाय अने अपकाययी चार, ज्योतिप वैमानिक अने मनुप्यनी स्त्रीयो वीस अने भवनपति अने व्यंतरनी खोथी आपला पांच सीमे. १२. विवेचन-वैमानिक देवथी आषेला एकसो आठ सीझे. बनस्पतिकायमाथी आवेला छ सीझे. पंकप्रभा नामे चोयो नरक, पृथ्वीकाय भने अप्कायथी आपला चार चार सीझे. ज्योतिषी देवी, वैमानिक देवी अने मनुप्यिणीयी आयला वीस वीस अने भुवनपतिनी देवी नया व्यंतरनी देवीथी आयेला पांच पांच सी. या सर्व संख्या उत्कृष्टयी जाणवी. जघन्यथी एक सी.१२.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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