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________________ मूड तथा भाषांतर. · ( १३७ ) हवे क्षेत्रादि पंदर द्वारने विषे द्रव्यपमाण नामे बीजं द्वार कहे छे:१ क्षेत्रद्वार- ऊर्ध्वलोके सामान्यथी भेर्वादिकमां, नंदनवनमा अने जलमां एटले सामान्यथी नयादिकमां चार सीझे. अधोलोके वीस पृथक्त्व सीझे. संग्रहणीमां अधोलोकमां बावीस सीझे एम कहुं छे. माटे अत्रतत्व केवलीगभ्य पृथक्त्व एटले बेथी नत्र सुधी ॥९॥ इगविजय वीस अडसय, पत्तेयं कम्मभूमि तिरिलोए । दुदुजलहि पंडगवणे, अकम्ममहि दस य संहरणा ॥ १०॥ इनविजय- एक विजयमां तिरिलोप तीछलोकमां | मकम्ममहि- अकम भूमि वीस-वीस दुदु बजे पय-प्रत्येक जलहि- समुद्र कम्मभूमि कर्मभूमि पंडगवणे- पांडुवचनमां अर्थ - एक विजयमां बीस, प्रत्येक कर्मभूमि अने तीछलोकमां एकसो आठ, समुद्र अने पंडगवनमां बचे, अने अकर्मभूमिमां संहरनयी दश सीझे ॥ १० ॥ • दस-इध संहरणा-संहरणथी विवेचन - एक विजयने विषे वीस सीझे. पांच भरट, पांच. अरवत अने पांच महाविदेह ए पंदर कर्म भूमिमां दरेकमां एकसो आठ, तीर्छा लोकमां पण एकसो आठ सीझे. सामान्यथी समुद्रम अने पंडकवनमां वे वे सीझे. ५ हेमवंत, ५ हरिवर्ष, ५ देवकुरु, ५ उत्तरकुरु, ५ रम्यक अने ५ अरण्यवत ए ३० अकर्मभूमिमां दरेकमां संहरणथी दश दश सीझे. १०. ति श्रीजा चउ स्थ- चोथा अरे-आरामां पंचमए- पांचमामां ૧૨ ति चउत्थ अरे अडसय, पंचमए वीस दस दसय सेसे २ | नरगतिग-भवण-वण- नर- जोइस तिरि तिरिखिणी दसगं ११ सेसे बाकीनाम नरगतिग नरकत्रिक भवण- भवन पति वण-व्यंन्तर नर-मनुष्य जोइस ज्योतिष, तिरि-तिर्थय तिरिखिणी - तियंचणी •
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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