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________________ विज्ञान नामका कोई ग्रन्थ नहीं था। आज कल भाषा विज्ञान ध्वनिविज्ञान, रूप विज्ञान, वाक्य विज्ञान, शब्द विज्ञान आदि विषयोंका समन्वित रूप है। प्राचीन कालमें प्रत्येक भाषा वैज्ञानिक अंग पर अलग-अलग स्वतंत्र शास्त्र थे, जिसमें शिक्षा ध्वनि विज्ञानका प्रतिपादक थी। वेदांगोंमें शिक्षाका महत्त्वपूर्ण स्थान इन्हीं विशेषताओंके चलते प्राप्त हुआ।भाषा विज्ञानकी शाखाके रूप में कार्य करने वाला महत्त्वपूर्ण शास्त्र व्याकरण था | व्याकरण भी वेदांगोंमें परिगणित है। यह शब्द शास्त्रके रूपमें भी जाना जाता है। इसको व्याकरण शास्त्र, शब्दानुशासन आदि के नामसे भी अभिहित किया गया है। व्याकरण मूल रूपमें शब्दोंकी प्रकृति, निर्माण प्रक्रिया आदिपर विचार प्रस्तुत करता है। प्राचीनकालमें एतद् विषयक कार्य प्रातिशाख्योंके द्वारा हुआ करता था । प्रत्येक वेदके अलग-अलग प्रातिशाख्य ग्रन्थ हैं। वैदिक एवं लौकिक शब्दों के अनुशासनके लिए व्याकरण सम्प्रदाय भी विख्यात हैं। जिनमें ऐन्द्र, चान्द्र काशकृत्स्न आदि कई व्याकरण प्रसिद्ध थे। भाषा विज्ञानकी महत्त्वपूर्ण शाखा थी निरुक्त । इसकी गणना भी वेदांगों में होती है। तत्कालीन भाषाओंकी निरुक्ति के कारण इसका महत्त्व इतना बढ़ गया कि अपने क्षेत्रमें यह प्रारंभिक ग्रन्थ ही माना जाने लगा। निरुक्तमें निर्वचनका विशिष्ट स्थान होनेके कारण यह निर्वचन शास्त्रके नामसे भी प्रसिद्ध हुआ । यद्यपि निर्वचनोंकी उपलब्धि वेदादि में भी होती है फिर भी व्यवस्थित रूपमें निर्वचन करने वाला शास्त्र निरुक्त ही था। निरूक्त शब्द एवं अर्थ विज्ञानका भी प्रतिपादन करता है, लेकिन वैशिष्ट्य निर्वचन का ही है। यों तो भाषा वैज्ञानिक तथ्योंका विवेचन ब्राह्मण, आरण्यक एवं उपनिषदोंमें भी प्राप्त होता है लेकिन व्यवस्थित ढंगसे भाषा विज्ञान का विवेचन उन ग्रन्थोंमें प्राप्त नहीं होता। ___आधुनिक युगमें भाषा विज्ञानके लिए हिन्दी भाषामें भी बहुत से नाम आये । ये सारे नाम अंग्रेजी नामोंके अनुवाद मात्र हैं। इस विज्ञानके लिए भाषा विज्ञान, भाषा शास्त्र, तुलनात्मक भाषा विज्ञान एवं तुलनात्मक भाषा शास्त्रका प्रयोग होता है। विज्ञान एवं शास्त्रका प्रयोग एक दूसरेके पर्याय के रूप में है। अतः भाषा विज्ञान या भाषा शास्त्रमें कोई भेद नहीं । अंग्रेजी नाम साइन्स आफ लेंग्वेज (Science of Language) का हिन्दी अनुवाद भाषा विज्ञान या भाषा शास्त्र है |कम्पेरेटिभ फिलोलाजी (Comparative Philology) का तुलनात्मक ७ : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्त
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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