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________________ विषयानुक्रम 95 393 395 395 399 399 400 400 401 401 403 404 405 408 चन्द्र द्वारा शनि, रवि आदि ग्रहों के घात का फल क्षीण चन्द्रमा का फल विवेचन चौबीसवाँ अध्याय ग्रहयुद्ध के वर्णन की प्रतिज्ञा यायी संज्ञक ग्रह जय-पराजय सूचक ग्रह चन्द्रघात और राहुघात शुक्रघात ग्रहयुद्ध के समय होने वाले ग्रहवर्णों के अनुसार फलादेश रोहिणी नक्षत्र के घातित होने का फल ग्रहों की वात-पित्ताति प्रकृतियों का विचार विवेचन पच्चीसवाँ अध्याय नक्षत्र और ग्रहों के निमित्तज्ञान की आवश्यकता ग्रहों की आकृति, वर्ण और चिह्नों द्वारा तेजी-मन्दी का विचार ग्रहों के प्रतिपुद्गल नक्षत्रों के सम्बन्ध के अनुसार विभिन्न ग्रहों द्वारा तेजी-मन्दी एवं हीनाधिकता का विचार विवेचन छब्बीसवाँ अध्याय मंगलाचरण स्वप्नदर्शन के कारण वात, पित्त और कफ प्रकृतिवालों द्वारा दृष्ट स्वप्नों का फल राज्यप्राप्तिसूचक स्वप्न जयसूचक स्वप्न विपत्तिमोचन-सूचक स्वप्न धन-धान्यवृद्धि-सूचक स्वप्न शस्त्रघात, पीड़ा तथा कष्टसूचक स्वप्न स्त्रीप्राप्ति सूचक स्वप्न मृत्युसूचक स्वप्न कल्याण-अकल्याण सूचक स्वप्न धन-प्राप्ति एवं धनवृद्धि सूचक स्वप्न 408 409 415 416 430 431 431 433 433 434 435 435 436 438 439
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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