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________________ 94 भद्रबाहुसंहिता 358 364 365 365 366 366 366 367 369 370 370 371 372 372 373 विवेचन इक्कीसवाँ अध्याय केतु-वर्णन की प्रतिज्ञा केतुओं के चिह्न केतु का वर्ण के अनुसार फलादेश विकृत केतु का फल केतु की शिखा के अनुसार फलादेश गुल्म, विक्रान्त, कबन्ध, मण्डली, मयूर, धूमकेतु धूमकेतु का विशेष फल केतूदय का फल विपथ केतु का फल स्वाति नक्षत्र में उदित केतु का फल भय उत्पन्न करने वाले केतुओं के नाम उत्दात नहीं करनेवाले केतु केतु-शान्ति के पूजा-विधान की आवश्यकता विवेचन बाईसवाँ अध्याय सूर्य-चार के कथन की प्रतिज्ञा उदय-काल में सूर्य की कान्ति के अनुरूप फल दिशाओं के अनुसार सूर्योदय काल की आकृति का फलादेश शृंगी वर्ण के सूर्य का फलादेश अस्तकालीन सूर्य का फल चन्द्र और सूर्य के पर्वकाल का फल विवेचन तेईसवां अध्याय चन्द्र-विचार और उसके शुभाशुभ निरूपण की प्रतिज्ञा चन्द्रमा की शृगोन्नति का विचार चन्द्रमा की आभा और वर्ण-विचार चतुर्थी, पंचमी आदि तिथियों में चन्द्रमा की विकृति का फल प्रतिपदा आदि तिथियों में चन्द्रमा में रान्य ग्रहों के प्रविष्ट होने का फलं चन्द्र-विपर्यय का फल विभिन्न वीथियों और नक्षत्रों में विवर्ण चन्द्र के गमन करने का फल । वैश्वानर आदि मार्गों में चन्द्रमा के विभिन्न प्रकार का फल 380 381 381 383 383 383 384 387 387 387 388 389 389 391 392
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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