SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एकोनविंशतितमोऽध्यायः 339 घोर गति कहलाती है। यह गति 15 दिन तक रहती है। जब बुध इस गति में गमन करता है, उस समय देश में अत्याचार, अनीति, चोरी आदि का व्यापक रूप से प्रचार होता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, बंगाल और दिल्ली राज्य के लिए यह गति अत्यधिक अनिष्ट करने वाली है । बुध के इस गति में विचरण करने से आर्थिक क्षति, किसी बड़े नेता की मृत्यु, देश में अर्थ-संकट, अन्नाभाव आदि फल घटित होते हैं । हस्त, अनुराधा या ज्येष्ठा नक्षत्र में बुध के विचरण करने से पापा गति होती है । इस गति के दिनों की संख्या 11 है। इस गति में बुध के रहने से अनेक प्रकार की हानियाँ उठानी पड़ती हैं । देश में राजनीतिक उलट-फेर होते हैं। बिहार, आसाम और मध्यप्रदेश के मन्त्रिमण्डल में परिवर्तन होता है। देवल के मत से फलादेश—देवल ने बुध की चार गतियां बतलाई हैंऋज्वी, वक्रा, अतिवक्रा और विकला । ये गतियाँ क्रमशः 30, 24, 12 और 6 दिन तक रहती हैं । ऋज्वी गति प्रजा के लिए हितकारी, वक्रा में शस्त्रभय, अतिवक्रा में धन का नाश, और विकला में भय तथा रोग होते हैं। पौष, आषाढ़, श्रावण, वैशाख और माघ में बुध दिखलाई दे तो संसार को भय, अनेक प्रकार के उत्पात एवं धन-जन की हानि होती है। यदि उवत मासों में बुध अस्त हो तो शुभ होता है । आश्विन या कार्तिक मास में बुध दिखलाई दे तो शस्त्र, रोग, अग्नि, जल और क्षुधा का भय होता है। पश्चिम दिशा में बुध का उदय अधिक शुभ फल करता है तथा पूरे देश को शुभकारक होता है । स्वर्ण, हरित या सस्यक मणि के समान रंग वाला बुध निर्मल और स्वच्छ होकर उदित होता है, तो सभी राज्यों और देशों के लिए मंगल करने वाला होता है। एकोनविंशतितमोऽध्यायः चारं प्रवास वर्ण च दीप्ति 'काष्ठांगतिं फलम् । वकानुवक्रनामानि लोहितस्य निबोधत ॥1॥ मंगल के चार, प्रवास, वर्ण, दीप्ति, काष्ठ, गति, फल, वक्र और अनुवक्र आदि का विवेचन किया जाता है ॥1॥ 1. काष्ठं गतिं मु०।
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy