SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 436
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 338 भद्रबाहुसंहिता स्थापित किये जाते हैं । अनाज अच्छा उत्पन्न होता है, वर्षा भी अच्छी होती है। कलिंग-उड़ीसा, विदेह - मिथिला, काशी, विदर्भ देश के निवासियों को सभी प्रकार के लाभ होते हैं । मरुभूमि--राजस्थान में सुभिक्ष रहता है, वर्षा भी अच्छी होती है । फसल उत्तम होने के साथ मवेशियों को कप्ट होता है । मथुरा और शूरसेन देशवासियों का आर्थिक विकास होता है। व्यापारी वर्ग को साधारण लाभ होता है । सोना और चाँदी के सट्टे में हानि उठानी पड़ती है । जूट का भाव बहुत ऊँचा चढ़ जाता है, जिससे व्यापारियों को हानि होती है। मृगशिरा, आर्द्रा, मघा और आश्लेषा नक्षत्र में बुध के विचरण करने को मिश्रा गति कहते हैं । यह गति 30 दिनों तक रहती है । इस गति का फल मध्यम है । देश के सभी राज्यों और प्रदेशों में सामान्य वर्षा, उत्तम फसल, रस पदार्थों की कमी, धातुओं के मूल्य में वृद्धि एवं उच्च वर्ग के व्यक्तियों को सभी प्रकार से सुख प्राप्त होता है । बुध की मिश्रा गति मध्यप्रदेश एवं आसपास के निवासियों के लिए अधिक शुभ होती है । उक्त राज्यों में उत्तम वृष्टि होती है और फसल भी अच्छी ही होती है । पुष्य, पुनर्वसु, पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में संक्षिप्त गति होती है । यह गति 22 दिनों तक रहती है। इस गति का फल भी मध्यम ही है पर विशेषता यह है कि इस गति के होने पर घी, तेल पदार्थों का भाव महंगा होता है। देश के दक्षिण भाग के निवासियों को साधारण कष्ट होता है। दक्षिण में अन्न की फसल अच्छी होती है। उत्तर में गुड़, चीनी और अन्य मधुर पदार्थों की उत्पत्ति अच्छी होती है। कोयला, लोहा, अभ्रक, तांबा, सीसा भूमि से अधिक निकलता है। देश का आर्थिक विकास होता है । जिस दिन से बुध उक्त गति आरम्भ करता है, उसी दिन से लेकर जिस दिन यह गति समाप्त होती है, उस दिन तक देश में सुमिक्ष रहता है । देश के सभी राज्यों में अन्न और वस्त्र की कमी नहीं होती। आसाम में बाढ़ आ जाने से फसल नष्ट होती है। बिहार के वे प्रदेश भी कष्ट उठाते हैं, जो नदियों के तटवर्ती हैं । उत्तर प्रदेश में सब प्रकार से शान्ति व्याप्त रहती है। पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अश्विनी और रेवती नक्षत्र में बुध की गति तीक्ष्ण कहलाती है। यह गति 18 दिन की होती है । इस गति के होने से वर्षा का अभाव, दुष्काल, महामारी, अग्निप्रकोप और शस्त्रप्रकोप होता है । मूल, पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में बुध के विचरण करने से बुध की योगान्तिका गति कहलाती है। यह गति 9 दिन तक रहती है । इस गति का फल अत्यन्त अनिष्टकर है। देश में रोग, शोक, झगड़े आदि के साथ वर्षा का भी अभाव रहता है। श्रावण मास में साधारण वर्षा होती है, इसके पश्चात् अन्य महीनों में वर्षा नहीं होती है । जब तक बुध इस गति में रहता है, तब तक अधिक लोगों की मृत्यु होती है । आकस्मिक दुर्घटनाएं अधिक घटती हैं । श्रवण, चित्रा, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में शुक्र के रहने से उसकी
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy