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________________ सप्तदशोऽध्यायः 325 विवेचन-मास के अनुसार गुरु के राशि-परिवर्तन का फल-यदि कात्तिक मास में गुरु राशि परिवर्तन करे तो गायों को कष्ट, शस्त्र-अस्त्रों का अधिक निर्माण, अग्निभय, साधारण वर्षा, समर्घता, मालिकों को कष्ट, द्रविड़ देशवासियों को शान्ति, सौराष्ट्र के निवासियों को साधारण कष्ट, उत्तरप्रदेश वासियों को सुख एवं धान्य की उत्पत्ति अच्छी होती है। अगहन में गुरु के राशि परिवर्तन होने से अल्प वर्षा, कृषि की हानि, परस्पर में युद्ध, आन्तरिक संवर्ष, देश के विकास में अनेक रुकावटें एवं नाना प्रकार के संकट आते हैं। बिहार, बंगाल, आसाम आदि पूर्वीय प्रदेशों में वर्षा अच्छी होती है तथा इन प्रदेशों में कृषि भी अच्छी होती है। उत्तरप्रदेश, पंजाब और सिन्ध में वर्षा की कमी रहती है, फसल भी अच्छी नहीं होती है। इन प्रदेशों में अनेक प्रकार के संघर्ष होते हैं, जनता में अनेक प्रकार की पार्टियाँ तैयार होती हैं तथा इन प्रदेशों में महामारी भी फैलती है। चेचक का प्रकोप उत्त रप्रदेश, मध्यप्रदेश, और राजस्थान में होता है। पौष मास में बृहस्पति के राशि-परिवर्तन से सुभिक्ष, आवश्यकतानुसार अच्छी वर्षा, धर्म की वृद्धि, क्षेम, आरोग्य और सुख का विकास होता है। भारतवर्ष के सभी राज्यों के लिए यह बृहस्पति उत्तम माना जाता है । पहाड़ी प्रदेशों की उन्नति और अधिक रूप में होती है । माघ मास में गुरु के राशि-परिवर्तन से सभी प्राणियों को सुख-शांति, सुभिक्ष, आरोग्य और समयानुकूल यथेष्ट वर्षा एवं सभी प्रकार से कृषि का विकास होता है । ऊसर भूमि में भी अनाज उत्पन्न होता है। पशुओं का विकास और उन्नति होती है । फाल्गुन मास में गुरु के राशि-परिवर्तन होने से स्त्रियों को भय, विधवाओं की संख्या की वृद्धि, वर्षा का अभाव अथवा अल्प वर्षा, ईति-भीति, फसल की कमी एवं हैजे का प्रकोप व्यापक रूप से होता है। बंगाल, राजस्थान और गुजरात में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। चैत्र में गुरु का राशिपरिवर्तन होने से नारियों को सन्तान-प्राप्ति, सुभिक्ष, उत्तम वर्षा, नाना व्याधियों की आशंका एवं संसार में राजनीतिक परिवर्तन होते हैं। जापान, जर्मन, अमेरिका, इंगलैण्ड, रूस, चीन, श्याम, बर्मा, आस्ट्रेलिया, मलाया आदि में मनमुटाव होता है। राष्ट्रों में भेदनीति कार्य करती है। गुटबन्दी का कार्य आरम्भ हो जाने से परिवर्तन के चिह्न स्पष्ट दृष्टिगोचर होने लगते हैं । वैशाख मास में गुरु का राशिपरिवर्तन होने से धर्म की वृद्धि, सुभिक्ष, अच्छी वर्षा, व्यापारिक उन्नति, देश का आर्थिक विकास, दुष्ट-गुण्डे-चोर आदि का दमन, सज्जनों को पुरस्कार एवं खाद्यान्न का भाव सस्ता होता है। घी, गुड़, चीनी आदि का भाव भी सस्ता रहता है। उक्त प्रकार के गुरु में फलों की फसल में कमी आती है। समयानुकूल यथेष्ट वर्षा होती है। जूट, तम्बाकू और लोहे का उत्पादन अधिक होता है। विदेशों से भारत का मैत्री सम्बन्ध बढ़ता है तथा सभी राष्ट्र मैत्री सम्बन्धों में आगे बढ़ना चाहते हैं। ज्येष्ठ मास में गुरु के राशि परिवर्तन होने से धर्मात्माजनों को कष्ट,
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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