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________________ पंचदशोऽध्यायः 1 फसल भी उत्तम उत्पन्न होती । पुनर्वसु नक्षत्र का शुक्र भेदन करे तो अश्मक और विदर्भ प्रदेश के रहने वालों को अनीति से कष्ट होता है, अवशेष प्रदेशों के निवासियों को कष्ट होता है । पुष्य नक्षत्र का भेदन करने से सुभिक्ष और जनता में सुख-शान्ति रहती है । आश्लेषा नक्षत्र में शुक्र का गमन हो तो सर्पभय रोगों की उत्पत्ति एवं दैन्यभाव की वृद्धि होती है । मघा नक्षत्र का भेदन कर शुक्र गमन करे तो सभी देशों में शान्ति और सुभिक्ष होते हैं । पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का शुक्र भेदन कर आगे चले तो शवर और पुलिन्द जाति के लिए सुखकारक होता है तथा कुरुजांगल देश के निवासियों के लिए कष्टप्रद होता है। शुक्र का इस नक्षत्र को भेदन करना बंग, आसाम, बिहार, उत्तरप्रदेश के निवासियों के लिए शुभ है । शुक्र की उक्त स्थिति में धन-धान्य की समृद्धि होती है । यदि हस्त नक्षत्र का शुक्र भेदन करे तो कलाकारों को कष्ट होता है । चित्रा नक्षत्र का भेदन होने से जगत् में शान्ति, आर्थिक विकास एवं पशु- सम्पत्ति की वृद्धि होती है । इस नक्षत्र का शुक्र सहयोगी ग्रहों के साथ भेदन करता हुआ आगे गमन करे तो कलिंग, बंग और अंग प्रदेश में जनता को मधुर वस्तुओं का कष्ट होता है । जिन देशों में गन्ना की खेती अधिक होती है, उन देशों में गन्ना की फसल मारी जाती है । स्वाति नक्षत्र में शुक्र के आने से वर्षा अच्छी होती है । देश की स्थिति पर राष्ट्रनीति की दृष्टि से अच्छी नहीं होती। विदेशों के साथ संघर्ष करना होता है तथा छोटी-छोटी बातों को लेकर आपस में मतभेद हो जाता है और सन्धि तथा मित्रता की बातें पिछड़ जाती हैं । व्यापारियों के लिए भी शुक्र की उक्त स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती । लोहा, गुड़, अनाज, घी और मशाले के व्यापारियों को शुक्र की उक्त स्थिति में घाटा उठाना पड़ता है। तैल, तिलहन एवं सोना-चांदी के व्यापारियों को अधिक लाभ होता है । विशाखा नक्षत्र का भेदन कर शुक्र आगे की ओर बढ़े तो सुवृष्टि होती है, पर चोर डाकुओं का प्रकोप दिनों-दिन बढ़ता जाता है । प्रजा में अशान्ति रहती है । यद्यपि धन-धान्य की उत्पत्ति अच्छी होती है, फिर भी नागरिकों की शान्ति भंग होने की आशंका बनी रह जाती है । अनुराधा का भेदन कर शुक्र गमन करे तो क्षत्रियों को कष्ट, व्यापारियों को लाभ, कृषकों को साधारण कष्ट एवं कलाकारों को सम्मान की प्राप्ति होती है । प्रशासकों ज्येष्ठा नक्षत्र का भेदन कर शुक्र के गमन करने से सन्ताप, में मतभेद, धन-धान्य की समृद्धि एवं आर्थिक विकास होता है। मूल नक्षत्र का भेदन कर शुक्र के गमन करने से वैद्यों को पीड़ा, डॉक्टरों को कष्ट एवं वैज्ञानिकों को अपने प्रयोगों में असफलता प्राप्त होती । पूर्वाषाढा का भेदन कर शुक्र के गमन करने से जल-जन्तुओं को कष्ट, नाव और स्टीमरों के डूबने का भय, नदियों में बाढ़ एवं जन साधारण में आतंक व्याप्त होता है । उत्तराषाढा नक्षत्र का भेदन करने से व्याधि, महामारी, दूषित ज्वर का प्रकोप, हैजा जैसी संक्रामक 303
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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