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________________ स्थान मस्तक म्फुरण ललाट स्फुरण कन्या स्फुरण भ्रमध्य भ्र युग्म कपाल स्फुरण मंत्र स्फुरण नेत्रकोण स्फुरण नेत्रममाप नेत्रपत्त स्फुरण स्थान नेपन पलक स्फुरण नेत्रको पाङ्ग देश | कलत्र लाभ गल्फ चतुर्दशोऽध्यायः अंगस्फुरण फल - अंग फड़कने का फल फल पृथ्वी लाभ स्थान लाभ भो समृद्धि सुख प्राप्ति महान् सुम्ब स्फुरण नामिका स्फुरण ! प्रीति मुख हस्त स्फुरण फल शुभ धन प्राप्ति लक्ष्मी लाभ प्रिय समागम सफलता, राज बन्धन सम्मान मुकदमे में विजय सद् द्रव्यकाभ लाभ शिर নামার সি वामभुजा राजभव जानुद्वय शुभागम जंघा कटिभाग सवारी दक्षिण लाभ स्थान वक्षः स्फुरण हृदय स्फुरण कटि स्फुरण करिपार्श्व नाभि स्फुरण आंत्रक स्फुरण भग स्फुरण कुचि स्फुरण उदर स्फुरण लिंग स्फुरण गुदा स्फुरण कृपण स्फुरण ओष्ठ स्फुरण दनु स्फुरण स्थान फल स्थान फल | विजय } वांछित सिद्धि प्रमोद-बल प्रांति श्री नाश कोश वृद्धि पति प्राप्ति सुप्रीनि लाभ कोश प्राप्ति बीलाभ वाहन प्राप्ति पुत्र प्राप्ति प्रियवस्तु लाभ भय पल्लीपतन और गिरगिट आरोहण फलबोधक चक्र फळ स्थान ललाट राज्यसंबंध उत्तरोड चन्धुदर्शन भ्रमध्व दक्षिणकं० आयुवृद्धि नामक बहुलाभ नेत्र २ शत्रुनाश मसनद्वब दुर्भाग्य शुभ हस्तद्वच बखलाभ कष्ट, धन शममपि कीर्तिनाश हृदय मणिबंध नाश बंध वामपाद दक्षिणपाद गमन उ स्कन्ध केशान्त मण स्थान कृष्ठ स्फुरण प्रीत्रा स्फुरण पृष्ट स्फुरण कपोल स्फुरण मुख स्फुरण बाहु स्फुरग बाहु मध्य वस्तिदेश स्फुरण उरः कुकुरल जानु स्फुरण जंघा कुल पादोपरि पाटन पाद स्फुरण फल ऐश्वर्य लाभ रिपु भय 261 युद्ध पराजय वरांगना प्राप्ति मित्र प्राप्ति मधुर भोजन धनागम अभ्युदय वन लाभ शत्रु वृद्धि स्वामि प्रामि स्थान लाभ नृपत्न अलाभ फल स्थान फल धननाश अधरोष्ठ नवतुल्यता धनप्रति द० भुज बुद्धिनाश भूषणलाभ पृष्ठदेश बहुधन विजय प्रासि धनलाभ नासिका मिठाम्न नाश भोजन श्रीनाश मुख पादमध्य | मरण
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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