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________________ 260 भद्रवाहुसंहिता है । शासन प्राप्त पार्टी या दल को पराजित होना पड़ता है। शहर के मध्य में कुत्ते ऊँचे मुंह कर लगातार आठ दिन तक भूकते दिखलाई पड़ें तो भी राजनीतिक झगड़े उत्पन्न होते हैं । जिस नगर या गांव में गीदड़, कुत्ते और चूहा बिल्ली को मार लगायें, उस नगर या गांव में राजनीति को लेकर उपद्रव होते हैं। उसमें अशान्ति इस घटना के बाद दस महीने तक रहती है। जिस नगर या गांव में सूखा वृक्ष स्वयं ही उखड़ता हुआ दिखलाई पड़े, उस नगर या गांव में पार्टीबन्दी होती है। नेताओं और मुखियों में परस्पर वैमनस्य हो जाता है, जिससे अत्यधिक हानि होती है। जनता में भी फूट हो जाने से राजनीति की स्थिति और भी विषम हो जाती है। जिस देश में बहुत मनुष्यों की आवाज सुनाई पड़े, पर बोलने वाला कोई नहीं दिखलाई दे उस देश या नगर में पांच महीनों तक अशान्ति रहती है। रोग-बीमारी का प्रकोप भी बना रहता है। यदि सन्ध्या समय गीदड़, लोमड़ी किसी नगर या ग्राम के चारों ओर रुदन करें तो भी राजनीतिक झंझट रहता है। वैयक्तिक हानि-लाभ सूचक उत्पात- यदि कोई व्यक्ति बाजों के न बजाने पर भी लगातार सात दिनों तक बाजों की ध्वनि सुने तो चार महीने में उसकी मत्यु तथा धनहानि होती है। जो अपनी नाक के अग्रभाग पर मक्खी के न रहने पर भी मक्खी बैठी हुई देखता है, उसे व्यापार में चार महीने तक हानि होती है। यदि प्रातःकाल जागने पर हाथों की हथेलियों पर दृष्टि पड़ जाय तथा हाथ में कलश, ध्वजा और छत्र यों ही दिखलाई पड़ें तो उसे सात महीने तक धन का लाभ होता है तथा भावी उन्नति भी होती है। कहीं गन्ध के साधन न रहने पर भी सुगन्ध मालूम पड़े तो मित्रों से मिलाप, शान्ति एवं व्यापार में लाभ तथा सुख की प्राप्ति होती है । जो व्यक्ति स्थिर चीजों को चलायमान और चञ्चल वस्तुओं को स्थिर देखता है, उसे व्याधि, मरणभय एवं धननाश के कारण कष्ट होता है । प्रातः काल यदि आकाश काला दिखलाई पड़े और सूर्य में अनेक प्रकार के दाग दिखलाई दें तो उस व्यक्ति को तीन महीने के भीतर रोग होता है । सुख-दुःख को जानकारी के लिए अन्य फलादेश नेत्रस्फरण-आंख फड़कने का विशेष फलादेश --दाहिनी आंख का नीचे का कान के पास का हिस्सा फड़कने से हानि, नीचे का मध्य का हिस्सा फड़कने से भय और नाक के पास वाल। नीचे का हिस्सा फड़कने से धनहानि, आत्मीय को कष्ट या मृत्यु, क्षय आदि फल होते हैं। इसी आंख का ऊपरी भाग अर्थात् बरौनी का कान के निकट वाला हिस्सा फड़कने से सुख, मध्य का भाग फकड़ने से धनलाभ और ऊपर ही नाक के पास वाला भाग फड़कने से हानि होती है । बायीं आंख का नीचे वाला भाग नाक के पास का फड़कने से सुख, मध्य का हिस्सा फड़कने से भंग और कान के पास वाला नीचे का हिस्सा फड़कने से सम्पत्ति-लाभ होता है । बरोनी
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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