SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 353
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुर्दशोऽध्यायः 255 रात में मेघहीन आकाश में पूर्व या पश्चिम दिशा में इन्द्रधनुष दिखलायी देता है, तब उस प्रदेश में घोर दुर्भिक्ष पड़ता है । जब आकाश में प्रतिध्वनि हो, तूर्यतुरई की ध्वनि सुनाई दे एवं आकाश में घण्टा, झालर का शब्द सुनाई पड़े तो दो महीने तक महाध्वनि से प्रजा पीड़ित रहती है । आकाश में किसी भी प्रकार का अन्य उत्पात दिखलाई पड़े तो जनता को कष्ट, व्याधि, मृत्यु एवं संघर्षजन्य दुःख उठाना पड़ता है । दिन में धूलि का बरसना, रात्रि के समय मेघविहीन आकाश में नक्षत्रों का नाश या दिन में नक्षत्रों का दर्शन होना संघर्ष, मरण, भय और धन-धान्य का विनाश सूचक है । आकाश का बिना बादलों के रंग-बिरंग होना, विकृत आकृति और संस्थान का होना भी अशुभसूचक है । जहाँ छः महीनों तक लगातार हर महीने उल्का दिखलाई देती रहे, वहाँ मनुष्य का मरण होता है । सफेद और घूघर रंग की उल्काएँ पुण्यात्मा कहे जाने वाले व्यक्तियों को कष्ट पहुँचाती हैं। पंचरंगी उल्का महामारी और इधर-उधर टकराकर नष्ट होने वाली उल्का देश में उपद्रव उत्पन्न करती है । अन्तरिक्ष निमित्तों का विचार करते समय पूर्वोक्त विद्य ुत्पात, उल्कापात आदि का विचार अवश्य कर लेना चाहिए । भूमि पर प्रकृति विपर्यय - उत्पात दिखलाई पड़ें तो अनिष्ट समझना चाहिए। ये उत्पात जिस स्थान में दिखलाई देते हैं, अनिष्ट फल उसी जगह घटित होता है अस्त्र-शस्त्रों का जलना, उनके शब्द होना, जलते समय अग्नि से शब्द होना तथा ईंधन के बिना जलाये अग्नि का जल जाना अनिष्टसूचक हैं । इस प्रकार के उत्पात में किसी आत्मीय की मृत्यु होती है । असमय में वृक्षों में फल-फूल का आना, वृक्षों का हंसना, रोना, दूध निकलना आदि उत्पात धनक्षय, शिशुओं में रोग तथा आपस में झगड़ा होने की सूचना देते हैं । वृक्षों से मद्य निकले तो वाहनों का नाश, रुधिर निकलने से संग्राम, शहद निकलने से रोग, तेल निकलने से भय और दुर्गन्धित पदार्थ निकलने से पशुक्षय होता है । अंकुर सूख जाने से वीर्य और अन्न का नाश, रोगहीन वृक्ष अकारण सूख जायँ तो सेना का विनाश और अन्नक्षय, आप ही वृक्ष खड़ा होकर उठ बैठे तो देव का भय, कुसमय में फल फूलों का आना प्रशासक और नेताओं का विनाश, वृक्षों से ज्वाला और धुआँ निकले तो मनुष्यों का क्षय होता है । वृक्षों से मनुष्य के जैसा शब्द निकलता हुआ सुनाई पड़े तो अत्यन्त अशुभकारी होता है । इससे मनुष्यों में अनेक प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं, जनता में अनेक प्रकार से अशान्ति आती है । कमल आदि के एक काल में दो या तीन फल की उत्पत्ति हो अथवा दो फूल या फल दिखायी पड़ें तो जिस जगह यह घटना घटित होती है, वहाँ के प्रशासक क मरण होता है । जिस किसान के खेत में यह निमित्त दिखलाई पड़ता है, उसकी भी मृत्यु होती है । जिस गाँव में यह उत्पात दिखलाई पड़ता है, उस गाँव में
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy