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________________ एकादशोऽध्यायः छाया हुआ दिखलाई दे तो मध्य देश को अवश्य नाश करता है । यह जितनी दूर तक फैला हुआ दिखलाई दे तो समझ लेना चाहिए कि उतनी दूर तक देश का नाश होगा । रोग, मरण, दुर्भिक्ष आदि अनिष्टकारक फलादेशों की प्राप्ति होती है । इस प्रकार का गन्धर्वनगर जनता, प्रशासक और उच्चवर्ग के लोगों के लिए 149 भदायक होता है । अवर्षण, सूखा आदि के कारण फसल भी मारी जाती है । यदि गन्धर्वनगर इन्द्रधनुषाकार या साँप के बिल के आकार में दिखलाई पड़े तो देशनाश, दुर्भिक्ष, मरण, व्याधि आदि अनेक प्रकार के अनिष्टकारक फल प्राप्त होते हैं । यदि चारदीवारी के समान गन्धर्वनगर की भी चहारदीवारी दिखलाई पड़े और ऊपर के गुम्बज भी दिखलाई पड़ें तो निश्चयतः प्रशासक या मन्त्री का विनाश होता है । नगर के मुखिया के लिए भी इस प्रकार का गन्धर्वनगर दुःखदायक बताया गया है । जब गन्धर्वनगर का ऊपरी हिस्सा टूटा हुआ दिखलाई दे तो दस दिन के भीतर ही किसी प्रधान व्यक्ति की मृत्यु सूचित करता है । ऊपर स्वर्ण की गुम्बजें दिखलाई पड़ें और उनपर स्वर्ण कलश भी दिखलाई देते हों तो निश्चयतः उस प्रदेश की आर्थिक हानि, किसी प्रधान व्यक्ति की मृत्यु, वस्तुओं की महंगाई और रोगादि उपद्रव होते हैं । जब गन्धर्वनगर के घरों की स्थिति ऊँचे मन्दिरों के समान दिखलाई दे और उनके कलशों पर मालाएं लटकती हुई दिखलाई पड़ें तो सुभिक्ष, समयानुसार वर्षा, कृषि का विकास, अच्छी फसल और धन-धान्य की समृद्धि होती है । टूटते ढहते गन्धर्वनगर दिखलाई दें तो उनका फल अच्छा नहीं होता । रोग और मानसिक आपत्तियों के साथ पारस्परिक कलह की भी सूचना समझनी चाहिए। जिस गन्धर्वनगर के द्वारपर सिंहाकृति दिखलाई दे, वह जनता में बल, पौरुष और शक्ति का विकास करता है। वृषभाकृतिवाला गन्धर्वनगर जनता को धर्म-मार्ग की ओर ले जानेवाला है । उस प्रदेश की जनता में संयम और धर्म की भावनाएं विशेष रूप से उत्पन्न होती हैं । जो व्यक्ति उक्त प्रकार के गन्धर्वनगरों को स्वर्णाकृति में देखता है, उसे उस क्षेत्र में शान्ति समझ लेनी चाहिए । मास और वार के अनुसार गन्धर्वनगर का फलादेश - यदि रविवार को गन्धर्वनगर दिखलाई पड़े तो जनता को कष्ट, दुर्भिक्ष, अन्न का भाव तेज, तृण की कमी, वृश्चिक - सर्प आदि विषैले जन्तुओं की वृद्धि, व्यापार में लाभ, कृषि का विनाश और अन्य प्रकार के उपद्रव भी होते हैं। तेज वायु चलता है, आश्विन मास में कुछ वर्षा होती है, जिससे साधारण रूप से चैती फसल हो जाती है। रविवार को सन्ध्या में गन्धर्वनगर देखने से भूकम्प का भय, मध्याह्न में गन्धर्वनगर देखने से जनता में अराजकता एवं प्रातःकाल सूर्योदय के साथ गन्धर्वनगर दिखलाई पड़े तो नगर में साधारणतः शान्ति रहती है । सन्ध्या काल का गन्धर्वनगर बहुत अधिक बुरा समझा जाता है। रात में दिखलाई देने से कम फल देता है ।
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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