SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 78 भद्रबाहुसंहिता अशुभ ग्रह, नक्षत्र, ग्रहयुद्ध, तिथि-मुहूर्त-शकुन और निमित्त के अशुभ होने पर बादलों का भ्रमण हो तो बहुत भारी भय की सूचना समझनी चाहिए ।।24-2511 अभ्रशक्तिर्यतो गच्छेत् तां दिशा चाभियोजयेत् । विपुला क्षिप्रगा स्निग्धा जयमाख्याति निर्भयम् ॥26॥ भारी शीघ्रगामी और स्निग्ध बादल जिस दिशा में गमन करें उस दिशा में वे यायी राजा की विजय की सूचना करते हैं ॥26।। यदा तु धान्यसंघाना सदृशानि भवन्ति हि। अभ्राणि तोयवर्णानि सस्यं तेषु समृद्ध्यते ॥27॥ यदि बादल धान्य के समूह के सदृश अथवा जल के वर्ण वाले दिखाई दें तो धान्य की बहुत पैदावार होती है ।।27।। विरागान्यनुलोमानि शुक्लरक्तानि यानि च। स्थावराणीति जानीयात् स्थावराणां च संश्रये ॥28॥ विरागी, अनुलोम गति वाले तथा श्वेत और रक्त वर्ण के बादल स्थिर हों तो स्थायी-उस स्थान के निवासी राजा की विजय होती है ॥28॥ क्षिप्रगानि विलोमानि नीलपीतानि यानि च। चलानीति' विजानीयाच्चलानां च समागमे ॥29॥ शीघ्रगामी, प्रतिलोम गति से चलने वाले, पीत और नील वर्ण के बादल चल होते हैं और ये यायी के लिए समागमकारक हैं ।।29।। स्थावराणां जयं विन्द्यात् स्थावराणां द्युतिर्यदा। यायिनां च जयं विन्द्याच्चलाभ्राणां धुतावपि ॥30॥ जो बादल स्थावरों-निवासियों के अनुकूल द्य ति आदि चिह्न वाले हों तो उस परसे स्थायियों की जय जानना और यायी के अनुकुल द्यु ति आदि चिह्नवाले हों तो यायी की विजय जानना चाहिए ।।30॥ 1. दिश. मु० । 2. त्वाभियोजयेत् मु० । 3. वात्यमंधानाम् मु. A. । 4. सदृशानां मुः । 5. समद्ध्यति म । 6. विरगानि म A. 1 7. वलानी मु. A. चंचलानीति मु• DI 8. जानीयात् म D. 1 9. चूलानां म• A. 10. ममागमं म• A. ।
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy