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________________ षष्ठोऽध्यायः 17 सहित समस्त सेना के युद्ध से लौट आने या पराङ मुख हो जाने की सूचना मिलती है ।।19॥ अभिद्रवन्ति घोषेण महता यां चमू पुनः । सविद्युतानि चाऽभ्राणि तदा विन्द्याच्चमूवधम् ॥20॥ जिस सेना के ऊपर बादल घोर गर्जना करते हुए बरसते हैं तथा बिजली सहित होते हैं तो उस सेना का नाश सूचित होता है ।।20। रुधिरोदकवर्णानि निम्बगन्धीनि यानि च। वजन्त्यभ्राणि अत्यन्तं सङ ग्रामं तेषु निर्दिशेत् ॥21॥ रुधिर के समान रंग वाली जलवर्षा हो और नीम जैसी गन्ध आती हो तथा बादल गमन करते हुए दिखलाई पड़ें तो युद्ध होने का निर्देश ज्ञात करना चाहिए ॥21॥ विस्वरं रवमाणाश्च शकुना यान्ति पृष्ठतः । यदा चाभ्राणि धूम्राणि तदा विन्द्यान्महद् भयम् ॥22॥ पीछे की ओर शब्द सहित अथवा शब्दरहित शकुन रूप धूम जैसी आकृति वाले बादल महान् भय की सूचना देते हैं ॥22॥ मलिनानि विवर्णानि दीप्तायां दिशि यानि च । दीप्तान्येव यदा यान्ति भयमाख्यान्त्युपस्थितम् ॥23॥ मलिन तथा वर्णरहित बादल दीप्ति दिशा--सूर्य जिस दिशा में हो उस दिशा में स्थित हों तो भय की सूचना समझनी चाहिए ।।23।। सग्रहे चापि नक्षत्रे ग्रहयुद्धे11 ऽशुभे तिथौ। 12सम्म्रमन्ति यदाऽभ्राणि तदा विद्यान्महद् भयम् ॥24॥ मुहर्ते शकुने वापि निमित्त वाऽशुभे यदा। सम्भ्रमन्ति यदाऽभ्राणि तदा विन्द्यान्महद् भयम् ॥25॥ 1. घोरेण मु. C. 2. चा मु०। 3. व्रजन्ति-अभ्रामतो: मु. A. B. D. 1 4. यानि अभ्राणि मु. c.। 5. सधूमानि मु. A. B. D. 1 6-7. महाभयम् मु० A., भयम् महत् मु० B. E. | 8. त्रिवर्णानि मु० A.। 9. सग्राहे मु० A., संग्रहे मु. D.। 10. वा। 11. अभ्रमुक्ते मु०.। 12. सम्भवन्ति मु० C.।
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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