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________________ [vii] पृष्ठ १८४ १५९ अमर्ष १९२ १६४ १९६ विषय उत्पातावेग वातावेग वर्षावेग अग्न्यावेग कुञ्जरावेग प्रियश्रवणजावेग अप्रियश्रवणजावेग शत्रुव्यसनावेग उन्माद इष्टनाश से उन्माद अपस्मृति व्याधि व्याधि के प्रकार सशीत व्याधि दाहयुक्त व्याधि मोह मृति मृति के भेद व्याधिज मृति अभिधातज मृति विषोत्पन्न आठ वेग आलस्य जड़ता व्रीडा अवहित्था स्मृति वितर्क चिन्ता मति पृष्ठ विषय १५७ उत्सुकता १५८ उग्रता १८६ १८७ १५९ असूया १८८ १६० चपलता १९० १६१ निद्रा १९१ १६१ सुप्ति १६२ बोध १९३ १६२ __उत्तमादि औचित्य से सात्त्विक १६३ और व्यभिचारी भावों का वर्णन १९४ १६४ उद्वेगादि का कथित व्यभिचारी भावों में अन्तर्भाव १९५ १६५ व्यभिचारी भावों के प्रकार १९६ १६५ स्वतन्त्र व्यभिचारी भाव १६५ निर्वेद का शान्तरस के १६६ स्थायिभावत्व का अभाव १९७ १६७ व्यभिचारी भावों की आभासता १९८ १६७ अनौचित्य के प्रकार १९८ १६७ असत्यकृत अनौचित्य १६७ अयोग्यता से अनौचित्य १६८ व्यभिचारी भावों दशाएँ २०० १६९ उत्पत्ति २०० १७० २०० १७२ शान्ति २०१ १७४ शबलता २०२ १७६ स्थायी भाव २०३ १७८ स्थायिभावों की संख्या १७९ २०३ १८० रति विषयक भोज का मत २०८ १८० शिङ्गभूपाल का मत २०९ १८२ रति के अवस्थान्तर ० १९८ ० १९९ ० ० सन्धि ० ० ० ० २०३ रति ० कृति
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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