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________________ १४४ ] :: શ્રી સથારાપરિજ્ઞા પયન્ના अणुलोमपूअणाए अह से सत्तू जओ डहइ देहं । सो तहवि उज्झमाणो पडिवन्नो उत्तमं अहं ॥ ७४ ॥ :: :: गुट्ठयपाओवगओ सुबंधुणा गोमये पलिवियंमि । डज्झतो चाणक्को पडिवन्नो उत्तमं अहं ॥ ७५ ॥ काइदीनथरीए राया नामेण अमयघोत्ति । तो सो सुअस्स रज्जं दाऊणं इह चरे धम्मे ॥७६॥ आहिंडिऊण वसुहं सुत्तत्थविसारओ सुअरहस्सो । काइदिं चैव पुरिं अह पत्तो विगयसोगो सो ॥७७॥ नामेण चंडवेगो अह से पडिछिंदइ तयं देहं । सो तहवि छिजमाणो पडिवन्नो उत्तमं अहं ॥७८॥ कोसंबीनयरीए ललिअघडा नाम विस्सुआ आसि । पाओवगमनिवन्ना बत्तीसं ते सुअरहस्सा ॥ ७९ ॥ जलमज्झे ओगाढा नईइ पूरेण निम्ममसरीरा । तहवि हु जलदह मज्झे पडिवन्ना उत्तनं अहं ॥ ८० ॥
SR No.023103
Book TitleAradhana Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvijay
PublisherVijaysiddhisuri Granthmala
Publication Year1941
Total Pages186
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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