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________________ १८६ कातन्त्रव्याकरणम् [समीक्षा] 'दुदुहतुः, दुदुहुः, निन्यतुः, निन्युः' इत्यादि शब्दरूपों के सिद्ध्यर्थ गुणनिषेध की जो अपेक्षा होती है, उसकी पूर्ति दोनों ही व्याकरणों में की गई है। पाणिनि का सूत्र है - "असंयोगाल्लिट् कित्'' (अ० १।२। ५)। अन्तर यह है कि पाणिनि लिट प्रत्ययों का किवद्भाव तथा "क्ङिनि च'' (१ । १। ५) से गण का निषेध करते है, परन्तु कातन्त्रकार ने साक्षात् ही गुणनिषेध का निर्देश प्रकृत सूत्र द्वारा किया है। [विशेष वचन] १. पृथग्योगः स्पष्टार्थ: (दु० टी०; बि० टी०)। [रूपसिद्धि १. दुदुहतुः। दुह् + परोक्षा- अतुस्। 'दुह प्रपूरणे' (२। ६१) धातु से परोक्षाविभक्तिसंज्ञक प्रथमपुरुष-द्विवचन ‘अतुम्' प्रत्यय, धातु को द्वित्व, अभ्याससंज्ञादि, गुणाभाव तथा सकार को विसर्गादेश २. दुदुहुः। दुह + परोक्षा–उस्। 'दुह प्रपूरणे' (२ । ६१) धातु से परोक्षाविभक्तिसंज्ञक उस्' प्रत्यय तथा धातु को द्विवचनादि-गुणाभाव। ३. विव्यतः। अज् + परोक्षा अनुस। 'अज गतिक्षेपणयोः' (१। ६४) धात से परोक्षाविभक्तिसंज्ञक 'अतुस्' प्रत्यय, अज' को 'वो' आदेश, धातु को द्विर्वचनादि-गुणाभाव। ४. विव्युः। अज् + परोक्षा-उस्। 'अज गतिक्षेपणयो:' (१ । ६४) धातु से उस्' प्रत्यय, 'अज' को 'वी' आदेश तथा धातु का द्विवचनादि-गुणाभाव। ___५. निन्यतुः। नी + परोक्षा-अतुस्। ‘णी प्रापणे' (१। ६००) धातु से परोक्षाविभक्तिसंज्ञक प्रथमपुरुष-द्विवचन 'अतुस्' प्रत्यय, धातु को द्विवचनादि तथा गुणाभाव। ६. निन्युः। नी + परोक्षा-उस्। 'णीज् प्रापणे' (१ । ६००) धातु से उस्' प्रत्यय, धातु को द्विर्वचनादि तथा गुणाभाव।। ६५२। ६५३. सर्वत्रात्मने [३। ५। २१] [सूत्रार्थ परोक्षाविभक्ति-आत्मनेपदसंज्ञक प्रत्ययों के परवर्ती होने पर धातु को गुणादेश का निषेध होता है।।६५३। [दु० वृ०] सर्वेषां धातूनां परोक्षायां च सर्वस्मिन्नात्मनेपदे गुणो न भवति। दुदुहे, दुदुहाते, दुदुहिरे। चक्रे, चक्राते, चक्रिरे।। ६५३ । [दु० टी०] सर्व० । 'परोक्षायां च सर्वत्र' इत्यास्ताम्, किमात्मनेपदग्रहणेन, परस्मैपदग्रहणमपि न सम्बध्यते, उत्तरत्र परस्मैपदग्रहणान् ? सत्यम्, प्रतिपत्तिगौरवं स्यात्।। ६५३।
SR No.023090
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages662
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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