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________________ २६ कातन्त्रव्याकरणम् प्रामाणिकता, संज्ञा में नित्य समास, समास-तद्धित प्रकरणों की सुखपूर्वक अवबोधार्थ अनुष्टुप् छन्द में रचना, 'उदनाचार्य' इत्यादि शब्दों में मध्यमपदलोपी समास, लोक में द्रव्य की प्रधानता, 'नअर्थः प्रलयं गतः' का उपस्थापन, अवयवधर्म से समुदाय का व्यपदेश, शर्ववर्मा द्वारा अर्थलाघव का अभीष्ट होना, सहस्रों मूर्यो की अपेक्षा एक पण्डित की विशिष्टता] । १७. बिगुसंज्ञा पृ० सं० ३२०-२४ [तद्धितार्थ-उत्तरपद-समाहार में संख्यापूर्वक कर्मधारय समास की द्विगुसंज्ञा , बालकों के अवबोधार्थ समास - तद्धित प्रकरणों की अनुष्टुप् छन्द में रचना, पूर्वाचार्यों द्वारा द्विगु संज्ञा की प्रसिद्धि, हेमचन्द्र आदि नवीन आचार्यों के द्वारा भी इसका प्रयोग, कातन्त्रव्याकरण में शब्दलाघव विचारणीय नहीं है, कुलचन्द्र आदि आचार्यों का अभिमत] । १८. तत्पुरुषसंज्ञा पृ० सं०३२५ - ४३ [कर्मधारय-द्विगु की तत्पुरुषसंज्ञा, उभयशब्द का पाठ सुखार्थ, राजादिगण का आकृतिगण होना, द्वितीयादिविभक्तियों के समास की तत्पुरुषसंज्ञा, कातन्त्रकार द्वारा लोकाभिधान के आश्रय से संक्षिप्त मार्ग का आश्रयण, ‘देवाय नमः' आदि में अनभिधानवशात् समासाभाव, द्वितीयादि विभक्तियों का कहीं पूर्व पदों के साथ समास, पञ्जीकार द्वारा एक व्याख्या की कपोलकल्पना, बृहदेवता-निरुक्त-नाट्यशास्त्र आदि प्राचीन ग्रन्थों तथा जैनेन्द्र-शाकययन-हैम-मुग्धबोधव्याकरण-अग्निपुराण-नारदपुराणशब्दशक्तिप्रकाशिका आदि अर्वाचीन ग्रन्थों में तत्पुरुष संज्ञा का प्रयोग, कात्यायनजयादित्य-पाणिनि-वररुचि-मैत्रेयरक्षित आदि आचार्यों के विचार] । १९. बहुव्रीहिसंज्ञा पृ० सं० ३४३ -५१ __ [विशेष्यविशेषणभावापन्न तथा अन्य पदार्थ को कहने वाले दो अथवा अधिक पदों के समास की बहुव्रीहिसंज्ञा, 'सहैव दशभिः' आदि में लोकाभिधान से समास की अप्रवृत्ति, सामान्य की भी विशेष के साथ समानता, अविज्ञात अर्थ में बहुवचन का प्रयोग शाकटायन-भाष्यकार-कुलचन्द्र आदि आचार्यों के विविध विचार, अन्तरालवर्तिनी दिशा के अर्थ में दो-दो मुख्य दिशाओं के वाचक शब्दों का बहुव्रीहि समास, वृत्तिमात्र में सर्वनाम का पुंवद्भाव ] ।
SR No.023088
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1999
Total Pages806
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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