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________________ आख्यात आख्यात प्रथम द्वितीय तृतीय चतुर्थ पञ्चम परस्मैपाद प्रत्ययपाद द्विवचनपाद संप्रसारणपाद आख्यात आख्यात आख्यात गुणपाद अनुषङ्गपाद आख्यात षष्ठ आख्यात सप्तम इडागमपाद आख्यात अष्टम धुट्पाद सिद्धिपाद कृप्रकरण प्रथम कृप्रकरण द्वितीय तृतीय चतुर्थ कृप्रकरण कृप्रकरण कृप्रकरण कृप्रकरण धातुपाद कर्मपाद क्वन्सुपाद उणादिपाद धातुसंबन्धपाद पञ्चम ११३ षष्ठ ११६ योग ४ २५ १४०१ उक्त के परिप्रेक्ष्य में कातन्त्रव्याकरण की कुछ प्रमुख विशेषताओं का परिगणन इस प्रकार किया जा सकता है १. विविधनामकृत वैशिष्ट्य १. कातन्त्र । २. कलाप, कालाप, कलापक | ३. कौमार । ४. शार्ववर्मिक । ५. दौर्गसिंह, दुर्गसिंहीय। २. रचनाप्रयोजनवैशिष्ट्य १. राजा सातवाहन को अल्प समय में व्याकरण का ज्ञान कराना।
SR No.023086
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1997
Total Pages452
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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