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________________ कातन्त्रव्याकरणम् ४४-४५ ९. ६. अन्य उपयोगी ग्रन्थ ४२-४३ [कातन्त्रविभ्रम, चर्करीतरहस्य, परिभाषावृत्ति, कातन्त्रशिक्षासूत्र, उपसर्गसूत्र, शब्दरूपकल्पद्रुम, रत्नबोध, कलापव्याकरणोत्पत्तिप्रस्ताव, पादप्रकरणसङ्गति, दशबलकारिका, बालशिक्षाव्याकरण, शब्दरत्न, गान्धर्वकलापव्याकरण, कलापदीपिका] ७. भोटभाषा में अनूदित कातन्त्रग्रन्थों का परिचय [कलापसूत्र आदि १२ ग्रन्थ] ८. भोटभाषा में लिखित टीकाएँ ४५-४६ [ग्रन्थकार-नाम के साथ २३ टीकाएँ] मुद्रितग्रन्थपरिचय ४६-४८ [४२ ग्रन्थों का प्रकाशन-परिचय] १०. पाणिनीयतर मान्यताएँ ४८-४९ ११. कातन्त्रव्याकरण की सूत्रसंख्या ४९-५० १२. कातन्त्रव्याकरण की प्रधान विशेषताएँ ५१-५४ [रचनाप्रयोजन-सूत्रशैली आदि विशेषताएँ] [सन्धिप्रकरणम् प्रथमः सिद्धपादः पृ० १-११८ टीकाचतुष्टये मङ्गलश्लोकव्याख्या १-२९ समीक्षा २९-३० [त्रिविध मङ्गल = कायिक, वाचनिक, तथा मानसिक | अनुबन्धत्रयी, महाभाष्य आदि ग्रन्थों तथा जयादित्य, भगवत्पाद शङ्कर, कुलचन्द्र आदि आचार्यों के मतों का स्मरण, केचित् - अन्ये - मूर्ख आदि प्रतीक, 'वस्तुतस्तु, परमार्थतस्तु' आदि प्रतीकों द्वारा विषय का स्पष्टीकरण, वाक्-देव-सर्वज्ञ आदि शब्दों की व्युत्पत्ति, दुर्गसिंह से पूर्ववर्ती वृत्तिग्रन्थ, केवल सूत्रव्याख्यानपरक दुर्गसिंह के शैव-बौद्ध-वैदिक मतानुयायी होने में आधार] १.
SR No.023086
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1997
Total Pages452
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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