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________________ विषयाः प्रास्ताविकम् १. कातन्त्रव्याकरण - रचना के प्रयोजन १-३ [सातवाहन - विदुषी रानी शर्ववर्मा-स्वामिकार्त्तिकेयसंवाद, आचार्य शशिदेव की व्याख्यानप्रक्रिया ] विविध नाम २. विषयानुक्रमणी ३. पृ० सं० १-५४ ३-५ [कातन्त्रम्, कलापम्, कालापम्, कलापकम्, कौमारम्, शार्ववर्मिकम्, दौर्गसिंहम्, दुर्गसिंहीयम् ] विषयपरिचय ५-१९ [सभी अध्यायों-पादों की सूत्रसंख्या, वररुचि का कृत्प्रकरण, श्रीपतिदत्त का कातन्त्रपरिशिष्ट, वर्णों की विविध संज्ञाएँ, स्वर तथा व्यञ्जनवर्णों में सन्धि, प्रकृतिभाव आदि ] ४. आचार्यशर्ववर्मकृत विषयविभाजन [ सन्धि- नामचतुष्टय तथा आख्यात] कातन्त्रव्याकरण का इतिहास १९-२१ २१-४२ [कातन्त्रकार शर्ववर्मा का देश-काल, कृत्सूत्रों की रचना और आचार्य वररुचि, कातन्त्रपरिशिष्ट और आचार्य श्रीपतिदत्त, कातन्त्रपरिशिष्ट की टीकाएँ, कातन्त्रोत्तरपरिशिष्ट और आचार्य विजयानन्द, कातन्त्रधातुपाठ, कातन्त्रगणपाठ, उणादिसूत्र, कातन्त्रलिङ्गानुशासन, कातन्त्रव्याकरण के वृत्तिकार, वृत्तिकार दुर्गसिंह का परिचय, कातन्त्रदुर्गवृत्ति का परिचय, व्याख्यासार, बालबोधिनी, कातन्त्रलघुवृत्ति, कातन्त्रकौमुदी, कातन्त्रवृत्तिटीका, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका, कलापचन्द्र, बिल्वेश्वरटीका, उद्घोत, त्रिलोचनचन्द्रिका, सञ्जीवनी, पत्रिका, दुर्गपदप्रबोध, पञ्जिकाप्रदीप ]
SR No.023086
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1997
Total Pages452
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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