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________________ हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि में विकास के कारण प्रतीत होते हैं। अपभ्रंश में कृदन्तज क्रियाओं के बाहुल्य के कारण शब्द एवं धातुएँ तद्भव अधिक प्रयुक्त होती हैं। इसका प्रभाव हिन्दी आदि भाषाओं पर स्पष्टतया देखा जा सकता है। हिन्दी में दुहरी क्रिया के प्रयोग का कारण बहुत कुछ अपभ्रंश का कृदन्तज प्रयोग ही है। 442 इस तरह अपभ्रंश ने आधुनिक भारतीय भाषाओं को अत्यधिक जीवनी शक्ति दी है। यह भरत के काल से ही सर्व साधारण जनता द्वारा पोषण पाती हुई सन् 500 ई० के समय भाषा के रूप में विकसित होती है और अपनी साहित्यिक महत्ता स्थापित करती है। पुरानी पालि और प्राकृत भाषा की विशिष्टताओं को धरोहर रूप में सजोकर अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर सांस्कृतिक महत्त्व प्राप्त करती है। पुरानी भाषाओं को आत्मसात कर आधुनिक भारतीय भाषाओं को जन्म देती है । इस प्रकार अपभ्रंश का अध्ययन भारतीय भाषाओं के अतीत और वर्तमान को सम्यक् समझने के लिये अत्यंत उपयोगी और आवश्यक है। उस दिशा में प्रस्तुत पुस्तक का योगदान महत्त्व का माना जाएगा, ऐसी मैं आशा करता
SR No.023030
Book TitleHemchandra Ke Apbhramsa Sutro Ki Prushthabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanath Pandey
PublisherParammitra Prakashan
Publication Year1999
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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